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रांची की सिटी बसों में अव्यवस्था चरम पर, हर दिन झगड़ते हैं पैसेंजर

Basant Munda  

Ranchi: आम जनता की सुविधा के लिए शुरू की गई सिटी बस सेवा आज रांची शहर में असुविधा, अव्यवस्था और असुरक्षा का प्रतीक बन चुकी है. यात्री न केवल समय और पैसा गंवा रहे हैं, बल्कि उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर भी लगातार चिंता बनी रहती है.


बिना टिकट यात्रा और सीटों के लिए विवाद


बसों में यात्रियों को अक्सर बैठने के लिए आपस में बहस करनी पड़ती है. कचहरी चौक से राजेंद्र चौक तक की दूरी तय करने में लगभग आधा घंटा लगता है, जिसके लिए यात्रियों से 10 रूपया किराया लिया जाता है.

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हमने स्वयं कचहरी चौक से राजेंद्र चौक तक यात्रा की और पाया कि बसों में किराया तय मानकों के अनुसार नहीं वसूला जा रहा है. न तो बसों में किराया सूची चिपकी होती है, न ही कंडक्टरों के पास इसकी कोई जानकारी होती है. जब टिकट मांगा गया, तो कंडक्टर ने कहा कि मिलेगा, लेकिन टिकट नहीं दिया गया. यह अब आम बात हो चुकी है.


सुरक्षा के अभाव में बढ़ रहे अपराध


बसों में न तो सीसीटीवी कैमरे हैं और न ही कोई आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर, जिससे किसी घटना की तुरंत सूचना पुलिस को दी जा सके. यात्री मनोहर ने बताया कि आठ महीने पहले उनका महंगा मोबाइल बस में चोरी हो गया था, जिसकी शिकायत के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बसों में अक्सर पॉकेटमारों का आना-जाना लगा रहता है और उन्हें पहचानने की कोई व्यवस्था नहीं है.


महिला यात्रियों और छात्रों को रोजाना होती है परेशानी


बसों में महिला आरक्षित सीटों पर पुरुष बैठे होते हैं, जिससे महिलाओं और स्कूली छात्राओं को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है. छात्रों ने बताया कि रोजाना सीट को लेकर धक्का-मुक्की और बहस होती है. कंडक्टर और ड्राइवर मूकदर्शक बने रहते हैं. महिला आरक्षण की जानकारी केवल खिड़कियों या दरवाजों पर लिखी होती है, जिसका पालन नहीं होता.


क्षमता से अधिक भीड़, चोरी का खतरा


बसों में केवल 30-35 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है, जबकि इनमें इससे कहीं अधिक लोग सवार हो जाते हैं. यात्रियों और छात्रों को खड़े होकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. बसों में बैग रखने के लिए निर्धारित स्थान है, लेकिन निगरानी के अभाव में सामान चोरी होने का खतरा हमेशा बना रहता है.

 

यात्रियों की ओर से निम्नलिखित मांगें उठाई गई हैं 


•    हर बस में सीसीटीवी कैमरे और इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर अनिवार्य रूप से लगाए जाएं.
•    किराया सूची स्पष्ट रूप से बसों में चिपकाई जाए और डिजिटल टिकटिंग को बढ़ावा दिया जाए.
•    महिला सीटों पर आरक्षण का सख्ती से पालन हो.
•    कंडक्टरों को टिकट देने के लिए बाध्य किया जाए और अनियमितता पर कार्रवाई हो.