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शारदा सिन्हा के बिना अधूरी है छठ पूजा, ये हैं उनके हरदिल अजीज गीत

Lagatar desk : लोक आस्था का महापर्व छठ आज (25 अक्टूबर) से ‘नहाय-खाय’ के साथ शुरू हो गया. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है. पहले दिन ‘नहाय-खाय’ का विशेष महत्व है, जब व्रती शुद्ध होकर व्रत की शुरुआत करते हैं. इस अवसर पर हर साल की तरह इस बार भी लोकगायिका शारदा सिन्हा के भक्ति गीतों ने वातावरण को भावनाओं से भर दिया.

 

शारदा सिन्हा ,छठ की अमर आवाज़

शारदा सिन्हा को ‘छठ की आवाज़’ कहा जाता है. उनके भजन केवल गीत नहीं, बल्कि लोकसंस्कृति, भक्ति और ममता का जीवंत रूप हैं. उनका सबसे प्रसिद्ध गीत “केलवा के पात पर उगेलन सूरज मल झाके झुके” आज भी हर घाट, गली और घर में छठ की पहचान बनाता है.

 

उनके भजन जो हर छठ को खास बनाते हैं:


पाहिले-पाहिल छठी मैया

बहंगी लचकत जाए

सुन छठी माई

हो दिनानाथ

दुखवा मिटाई छठी मइया  (उनका अंतिम भजन)  इन गीतों में गांव की मिट्टी की खुशबू, मां की ममता और सूर्य की महिमा एक साथ महसूस होती है.

 

अंतिम भजन और अमर यादें


शारदा सिन्हा का निधन 5 नवंबर 2024 को ब्लड कैंसर (Multiple Myeloma) के कारण हुआ. लेकिन उन्होंने अंतिम सांस लेने से पहले छठ के लिए भजन दुखवा मिटाई छठी मइया रिकॉर्ड किया, जो आज भी लाखों दिलों में उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान छोड़ गया.

 

हर छठ पर लौट आती हैं शारदा सिन्हा


आज के डिजिटल युग में Spotify, YouTube और लोकल स्पीकरों पर शारदा सिन्हा के भजन सुनकर छठ पूजा केवल पर्व नहीं, बल्कि एक अनुभव बन जाती है. उनके गीतों के बिना छठ की कल्पना अधूरी है.

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