Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) ‘सस्टेनेबल इंजीनियरिंग: कॉन्सेप्ट्स एंड अप्रोचस’ का समापन 19 जुलाई, 2025 को सफलता पूर्वक हुआ. इस कार्यक्रम को एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (एटीएएल) अकादमी ने प्रायोजित किया था, जिसका उद्देश्य संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं को समकालीन सतत इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं और तकनीकी उपकरणों से अपडेट करना था.
कार्यक्रम के दौरान, शिक्षा, उद्योग और अनुसंधान के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने हरित बुनियादी ढांचे, जल संसाधन प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से संबंधित इंजीनियरिंग समाधानों पर गहन सत्रों का आयोजन किया.
समापन समारोह में मुख्य अतिथि, डॉ अनीता रॉय, प्रबंध निदेशक, लूरी वाटरसिस्टम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली ने सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सिविल इंजीनियरिंग विभाग की प्रतिबद्धता की सराहना की. उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक राष्ट्रीय विकास के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों और अनुसंधान में सतत विकास को शामिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
कार्यक्रम की सह-समन्वयक डॉ शिखा चौरसिया ने एफडीपी के छह दिनों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि तकनीकी सत्रों, कार्यशालाओं और औद्योगिक दौरे में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी ने इस कार्यक्रम को खास बना दिया. उन्होंने सभी विशेषज्ञों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया जिनकी सहभागिता ने इस आयोजन को सफल बनाया.
समापन भाषण में कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर अजय सिंह ने आयोजन टीम और प्रतिभागियों को बधाई दी और सतत विकास के क्षेत्र में आगे भी सहयोग और ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के डॉ डीके रूसिया और डॉ मिंटो जॉब ने भी एफडीपी की विषयवस्तु की सराहना की.
इस कार्यक्रम में 30 से अधिक प्राध्यापकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया, जिन्होंने पर्यावरण-अनुकूल इंजीनियरिंग समाधानों पर एक गहरी और बहु-विषयक चर्चा को बढ़ावा दिया. विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो केबी दास ने इस सफल समापन पर सिविल इंजीनियरिंग विभाग को बधाई दी और उनके सतत प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं.