New Delhi : भारत के लोकपाल कार्यालय द्वारा 7 हाई-एंड BMW 330 Li लॉन्ग व्हील बेस लग्जरी कारें खरीदने का मामला तूल पकड़ कहा है. विपक्षी दल इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं.
When Honourable judges of the Supreme Court are provided modest sedans, why do the Chairman and six members of the Lokpal require BMW cars?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 22, 2025
Why spend public money to acquire these cars?
I hope that at least one or two members of the Lokpal have refused, or will refuse, to…
8,703 complaints.
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) October 21, 2025
Only 24 probes.
6 prosecution sanctions.
And now, BMWs worth ₹70 lakh each.
If this is our anti-corruption watchdog, it’s more poodle than panther!
कांग्रेस नेता व पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा है कि जब सुप्रीम कोर्ट के जज सिंपस सेडान कारों पर चलते हैं, तो लोकपाल के अध्यक्ष और उसके छह सदस्यों को बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कार क्यों चाहिए. नता के पैसे से इतनी महंगी कारें क्यों खरीदी जा रही हैं? मुझे उम्मीद है कि लोकपाल के कुछ सदस्य इन कारों को लेने से इनकार करेंगे.
हालांकि अभी तक सरकार या लोकपाल की ओर से इस मामले में कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है. सूत्रों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है. अंतिम खरीद का निर्णय अभी नहीं हुआ है.भारतीय लोकपाल द्वारा 35 पन्ने का एक टेंडर जारी किया गया है.
16 अक्टूबर को इस टेंडर को आधिकारिक वेबसाइट पर डाला गया था. इसमें BMW-3 सीरीज की सात कारों को खरीदने की बात लिखी गयी है. हर कार की कीमत 70 लाख रुपए से अधिक है. सात कारों की कीमत पांच करोड़ रुपए से ज्यादा हो जायेगी.
कांग्रेस सांसद(तेलंगाना) अभिषेक मनु सिंघवी ने एक्स पर लिखा, 'भ्रष्टाचार विरोधी इस संस्था(लोकपाल) द्वारा अपने सदस्यों के लिए बीएमडब्ल्यू कारें खरीदते देखना दुखद है. यह ईमानदारी के रखवाले कम, विलासिता के पीछे भागने वाले ज्यादा लगते हैं. वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने लिखा, उनके पिता डॉ एलएम सिंघवी ने 1960 के दशक में लोकपाल की अवधारणा प्रस्तुत की थी. वह खुद लोकपाल पर संसदीय समिति के अध्यक्ष रहे हैं.
सिंघवी के अनुसार 2019 में अपनी स्थापना के बाद से लोकपाल को 8,703 शिकायतें मिलीं, जिनमें से केवल 24 की जांच हुई. सिर्फ चह मामलों में मुकदमा चलाने की मंजूरी प्रदान की गयी. उन्होंने तंज कसा कि ऐसी स्थिति में 70 लाख की बीएमडब्ल्यू कारें! यह भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था कम, पालतू जानवर ज्यादा लगता है.
सामाजिक कार्यकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मोदी सरकार ने लोकपाल संस्थान को कई वर्षों तक खाली रखा. अब सेवा सदस्यों की नियुक्ति कर दी गयी है. ये भ्रष्टाचार से परेशान नहीं हैं, लेकिन अपनी विलासिता से खुश हैं. वे अब अपने लिए 70L बीएमडब्ल्यू (BMW) कारें खरीद रहे हैं.
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