Ranchi : आदिवासी हुंकार रैली के मंच पर केंद्रीय सरना समिति की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष निशा भगत को जगह नहीं दी गई. मंच से उतारी गई निशा भगत ने कहा कि यह रैली ईसाई समुदाय द्वारा प्रायोजित थी और केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष को जानबूझकर मंच पर स्थान नहीं दिया गया.
राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में धर्मांतरण लगातार बढ़ रहा है. कुर्मी समाज से ज्यादा खतरनाक धर्मांतरित ईसाई हैं, क्योंकि ये लोग आदिवासी समाज के अधिकार और आरक्षण पर कब्जा कर रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि ईसाई समुदाय सरना स्थलों पर कब्जा करने का काम कर रहा है. इसके खिलाफ मैंने जनजातीय आयोग में शिकायत दर्ज कराई है और जांच जारी है.
धमकियों के बावजूद उठाती रहूंगी आदिवासी मुद्दा
निशा भगत ने बताया कहा कि लातेहार में आयोजित होने वाले कार्यक्रम से पहले भी ईसाई समुदाय के लोगों ने मुझे धमकी दी थी कि मैं ईसाई धर्मांतरण के मुद्दे पर कुछ न बोलूं, जिसके कारण वह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा.
मंच पर सच्चाई बोलती, इसलिए नीचे उतारा गया
निशा भगत ने कहा कि लगातार धमकियों के बावजूद वह आदिवासी अस्मिता और धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं. उन्होंने कहा मैं सिर्फ सरना धर्मावलंबियों के हक की बात करती हूं, लेकिन मंच पर सच्चाई बोलने के कारण मुझे जबरन नीचे उतार दिया गया.
आदिवासी नेताओं पर लगाया समाज को गुमराह करने का आरोप
केंद्रीय महिला अध्यक्ष ने कहा कि कई आदिवासी नेता अपने ही समाज को गुमराह कर रहे हैं.ये नेता आदिवासी परंपरा और सरना संस्कृति को छोड़कर राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं. आदिवासी समाज की रुढ़ी प्रथाओं को तोड़ने और धर्मांतरितों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं.
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