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दीक्षांत समारोह केवल उपाधि प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि नई यात्रा की शुरुआत हैः राज्यपाल

Ranchi : राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह केवल उपाधि प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि नई यात्रा की शुरुआत है, जिसमें मेहनत, संघर्ष, सीख, साधना और आत्म-विश्वास का समावेश होता है. विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और पहचान के वाहक होते हैं. 

 

भारत की आत्मा गांवों में बसती है


राज्यपाल ने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और गांवों की आत्मा कृषि में है. कृषि केवल उत्पादन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा, परिवार, पर्यावरण और जीवन-दर्शन से जुड़ी हुई है. भगवान बिरसा मुंडा की धरती झारखंड की भूमि कृषि, वनों और जैव-विविधता से समृद्ध है. किसान केवल ‘अन्नदाता’ ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के आधार हैं. समाज में किसान का सम्मान ही देश की वास्तविक समृद्धि का प्रतीक है. उन्होंने आह्वान किया कि कृषि को केवल आजीविका नहीं, बल्कि सम्मान और नवाचार के क्षेत्र के रूप में देखा जाना चाहिए.

 

शिक्षित बेटियां समाज को दे रही हैं दिशा 


इस वर्ष विश्वविद्यालय से 1021 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जा रही हैं, जिनमें छात्राओं की संख्या अधिक है. उन्होंने कहा कि यह बदलते भारत की नई तस्वीर है, जहां शिक्षित बेटियां समाज को दिशा दे रही हैं. वे अपने जीवन की नई यात्रा में आत्मविश्वास, ज्ञान और चरित्र के साथ आगे बढ़ें और अपने कार्यों से विश्वविद्यालय, राज्य और देश का नाम रोशन करें. भारत आज दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला देश है और आने वाले 25 वर्षों में यही युवा शक्ति भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएगी. पीएम के नेतृत्व में भारत आज विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है.

 

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़


राज्यपाल ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कोविड-19 महामारी के समय जब अनेक क्षेत्र संकटग्रस्त थे, तब कृषि क्षेत्र ने देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा. उन्होंने किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं को देश के सच्चे विकास-नायक बताया.

 

उन्होंने कहा कि झारखंड खनिज-संपन्न राज्य होते हुए भी इसकी बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है. उन्होंने जल संरक्षण, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, लघु कृषि मॉडल, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, लाह एवं मशरूम उत्पादन जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं पर बल दिया. 

 

कहा कि झारखंड ने दलहन उत्पादन और सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसके लिए राज्य को ‘कृषि कर्मण पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है. उन्होंने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सूकर नस्ल ‘झारसूक’ की प्रशंसा की, जिसकी देशभर में मांग बढ़ रही है.


जहां भी जाएं, अपनी मातृभूमि, गांव, किसान और अपनी जड़ों से जुड़े रहेंराज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि आप जहां भी जाएं, अपनी मातृभूमि, गांव, किसान और अपनी जड़ों से जुड़े रहें. उन्होंने कहा कि प्रगति तभी सार्थक है जब उसकी रोशनी समाज तक पहुंचे. आप सभी इस विश्वविद्यालय के ब्रांड एम्बेसडर हैं. आपकी उपलब्धियां ही इस संस्थान की पहचान बनेंगी. 
कृषि विश्वविद्यालय के साथ उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त जुड़ीः कृषि मंत्री


मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि देश में हरित क्रांति के दौर के दौरान 1980 में छोटानागपुर के इलाके में बीएयू की स्थापना हुई. इस कृषि विश्वविद्यालय के साथ उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त जुड़ी है . देश के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का 18 प्रतिशत का योगदान है. 70 प्रतिशत आबादी वाले समूह की ये भागीदारी वैसे तो कम है पर देश के किसानों की भूमिका को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. कृषि विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि कैसे किसानों की आय में वृद्धि हो, कैसे वो उन्नत कृषि के साथ जुड़ पाएं, कैसे झारखंड के किसान सशक्त बनें. आपके लिए देश और राज्य पहली प्राथमिकता में है. आपके ईमानदार पहल से किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव संभव है.

 


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