Ranchi : हजरत कुतुबुद्दीन रिसालदार शाह बाबा दरगाह डोरंडा परिसर में चल रहे 218वां उर्स में श्रद्धा और उत्साह का अनोखा संगम देखने के लिए मिल रहा है. दरगाह परिसर और आसपास के इलाकों में इन दिनों मेले की रौनक है.
हर तरफ भीड़, चहल-पहल और उमंग का माहौल दिखाई दे रहा है. चादरपोशी से लेकर बाजार की रौनक और बच्चों के झूले तक, हर दृश्य मेले में पहुंचे लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
मिठाइयों और व्यंजनों का स्वाद खूब दे रहा है सुगंध
हलवा-पराठा और सोनपापड़ी की मिठास मेले की रौनक को और बढ़ा रही है. सुबह से देर रात तक दुकानों पर भीड़ लगी रहती है. दूर-दराज से आए लोग बाबा की दरगाह पर हाजिरी लगाने के बाद मेले के व्यंजनों का स्वाद चखना नहीं भूल रहे है.
खिलौनों से सजा है उर्स मेला
इस बार शुभम कुमार पहली बार अपनी दुकान लेकर मेले में आए हैं. उनकी दुकान पर बच्चों के लिए कार, हवाई जहाज, रोबोट, टेडी बियर, बंदूक, हेलीकॉप्टर और ट्रैक्टर जैसे खिलौनों की भरमार है. बच्चे खिलौनों की दुकानों पर झूमते नजर आ रहे है. सभी सामान एक ही रेट 80 रूपये मे मिल जा रही है.
उर्स मेला में गुब्बारा बना आकर्षण का केद्र
नवादा से आए जितेंद्र कुमार, अरुण प्रसाद और नसीम हजारों रुपए के जिप्पी गुब्बारे लेकर पहुंचे हैं. महिलाएं और बच्चे गन शूटिंग का खूब आनंद ले रहे हैं. 50 रुपये में 12 गुब्बारे फोड़ने का रोमांच लोगों को अपनी ओर खींच रहा है. गुब्बारों की दुकान पर दिनभर भीड़ उमड़ रही है.
झूमर और चुड़ियों की चमकसल लोगो को कर रहा है आकर्षित
आगरा से आए राम सिंह की झूमर और चुड़ियों की दुकान मेले का खास आकर्षण बनी हुई है. 150 से 500 रुपये तक के रंग-बिरंगे प्लास्टिक झूमर, जिनमें कपड़ा और मोती का सजावटी काम किया गया है, घरों की शोभा बढ़ाने के लिए खूब खरीदे जा रहे हैं. वहीं, 100 से 400 रुपये तक के टेडी बियर भी खरीदारों को लुभा रहे हैं.
बच्चों के मनपंसद झूले
मेले में सजाए गए झूलों ने बच्चों और युवाओं का दिल जीत रहा है. इसमें जम्पिंग, चकरी, गोल गाड़ी, ड्रैगन ट्रेन, नाव समेत दर्जनों झूले दिन-रात गूंजते रहते हैं. बच्चे हंसी-खुशी के साथ झूलों का आनंद उठा रहे हैं, जबकि बड़े लोग अपने बचपन की यादों को ताजा कर रहे हैं.
रात को भी जगमगाता है मेला
शाम ढलते ही मेला रोशनी से जगमगा उठता है. रंग-बिरंगी लाइटों से सजी दुकानों और झूलों की चमक हर किसी का मन मोह ले रहा है. रातभर चलने वाला यह मेला लोगों के लिए सिर्फ खरीदारी और मनोरंजन का स्थान बना हुआ है. यह मेला आपसी भाईचारे का भी प्रतीक चुका है. बाबा की दरगाह पर माथा टेक रहे है. लोग मन्नत मांग रहे है. इस मेले का हिस्सा बनकर संतोष और खुशी दोनों का अनुभव कर रहे हैं.
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