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सीयूजे : क्षमता निर्माण कार्यक्रम के चौथे दिन शोध विधियों, चर व उपकरणों पर गहन विमर्श

Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) में आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित दो-सप्ताहिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम (CBP) के चौथे दिन का शुभारंभ शांतिपूर्ण और चिंतनशील वातावरण में सरस्वती वंदना के साथ हुआ. 

 

इसके बाद कन्फ्यूशियस का प्रेरक उद्धरण प्रस्तुत किया गया, जिसमें शिक्षा को शताब्दियों के निर्माण का आधार बताया गया. पाठ्यक्रम निदेशक, प्रो. (डॉ.) तपन कुमार बसंतिया ने दिन के विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए शैक्षणिक गतिविधियों की शुरुआत की.

 

कार्यक्रम के तीनों सत्र आईआईटी भुवनेश्वर के डॉ. दुखबन्धु साहू द्वारा संचालित किए गए, जिन्होंने शोध के मौलिक आधारों, चर की अवधारणा, परिकल्पना निर्माण और शोध के 3R (Replicable, Robust, Rational) तथा 3S (Simple, Straightforward, Systematic) सिद्धांतों पर विस्तृत चर्चा की.

 

उन्होंने चर को न्यूटन के गति नियम के संदर्भ में समझाते हुए कहा कि चर तब तक अपरिवर्तित रहता है जब तक उस पर शोध संदर्भ में कोई प्रभाव न डाला जाए. डॉ. साहू ने शोध की भाषा को सरल और समझने योग्य रखने पर जोर दिया और कहा कि परिवर्तनशीलता ही वैज्ञानिक अन्वेषण का मूल है.

 

दूसरे सत्र में उन्होंने परिकल्पना के स्रोतों—साहित्य, अनुभव, अंतःप्रज्ञा और अवलोकन—पर प्रकाश डालते हुए सहसंबंधात्मक और कारण-तुलनात्मक शोध रूपरेखा की अवधारणाओं को स्पष्ट किया. उन्होंने विशेष रूप से बताया कि सहसंबंध को कारणात्मक संबंध के रूप में नहीं समझना चाहिए.

 

तीसरे सत्र में “रिसर्च माइंडसेट” पर केंद्रित कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें उन्होंने जिज्ञासा, आलोचनात्मक सोच, धैर्य और नैतिकता को एक गुणवत्तापूर्ण शोध की अनिवार्य शर्त बताया. समूह-गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को शोध समस्याओं को खुले और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से समझने के लिए प्रेरित किया गया.

 

दिन के अंतिम सत्र का संचालन जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. संजय भुइयां ने किया. उन्होंने “मात्रात्मक शोध उपकरण—टेस्ट, चेकलिस्ट, रेटिंग स्केल और प्रश्नावली” विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया.

 

उन्होंने शोध उपकरणों की वैधता, विश्वसनीयता और वस्तुनिष्ठता पर चर्चा की तथा बताया कि किस प्रकार विभिन्न अध्ययनों के लिए उपयुक्त प्रश्नावली और स्केल तैयार किए जाते हैं. उनके उदाहरणों ने प्रतिभागियों को व्यावहारिक समझ प्रदान की.

 

कार्यक्रम का समापन विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त करने और राष्ट्रीय गान के साथ किया गया. चौथे दिन की सभी गतिविधियों ने प्रतिभागियों को शोध विधियों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उपकरण निर्माण में सुदृढ़ बौद्धिक आधार प्रदान किया.

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