Ranchi : झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है कि सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी घोषित करने से पहले वन, वन्य जीव और आम नागरिकों के हितों का समान रूप से ध्यान रखना होगा.
वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्युट ऑफ इंडिया ने सारंडा के 5700 हेक्टेयर वन क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी घोषित करने की सिफारिश की थी. लेकिन उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर करने से पहले मुख्य सचिव या कैबिनेट का अनुमोदन जरूरी होता है. इसलिए सेंचुरी घोषित करने से पहले उस क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक प्रभाव का अध्ययन जरूरी हो जाता है.
स्थानीय लोगों की चिंताएं
वित्त मंत्री ने कहा कि स्थानीय लोगों का कहना है कि वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी घोषित होने से वे निर्वासित हो जाएंगे और उनकी आजीविका प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि सरकार को स्थानीय लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिए और उनकी आजीविका की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए.
राजस्व नुकसान
वित्त मंत्री ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र में लौह अयस्क का अकूत भंडार है और वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी घोषित होने से झारखंड को लगभग 2500 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस नुकसान को ध्यान में रखना चाहिए.
सुरक्षा के लिए मानव संसाधन
वित्त मंत्री ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मानव संसाधन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वन प्रमंडल की सुरक्षा और संरक्षा के लिए 157 पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी 84 पद रिक्त हैं. सरकार को इन पदों को भरने के लिए कदम उठाने चाहिए.
उड़ीसा के आयरन ओर लॉबी की भूमिका
वित्त मंत्री ने कहा कि सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी घोषित कराने के पीछे उड़ीसा के आयरन ओर लॉबी की भी प्रभावी भूमिका हो सकती है. उन्होंने कहा कि उड़ीसा का यह लॉबी चाहता है कि सारंडा वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी घोषित हो जाए ताकि उड़ीसा में आयरन ओर उत्खनन का दायरा बढ़े.
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