Ranchi : ट्राईबल एवेयरनेस मैनजमेंट टीम धुमकुड़िया के तत्वाधान में कोटवार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसमें लातेहार,लोहरदगा,रामगढ़, गुमला समेत विभिन्न जिलों से लोग पहुंचे थे. इस दौरान कुडुख भाषा के तोलोड़ सिकी लिपि बनाने की प्रस्ताव को आभार जताया.
इनके जनक डॉ नारायण उरांव को पद्मश्री देने की मांग की गई. कार्यक्रम की शुरूआत सरना प्रार्थना से शुरू हुई. संचालन फूलदेव भगत ने किया. मुख्य वक्ता साहित्यकार महादेव उरांव, दर्शनशास्त्र प्रोफेसर डॉ अभय सागर मिंज,लॉ कोलेज का प्रोफेसर रामचद्र उरांव शामिल थे.
कोटवार प्रशिक्षण को बड़े स्तर पर करने की जरूरत- महादेव टोप्पो
साहित्यकार महादेव टोप्पो ने कहा कि कोटवार प्रशिक्षण को राज्यभर में करने की जरूरत है. तभी आदिवासी संस्कृति को बचाया जा सकता है. कोटवार आदिवासी संस्कृति की हिस्सा है. ये पाहन का सहयोगी होता है. गांव का मुख्य कार्यक्रम को लोगों तक पहुंचाने का कार्य करता है.
धुमकुड़िया संचालन के लिए लोगों को अवगत कराया गया. स्वरोजगार से जोड़ने का पहल किया गया ताकि आने वाली पीढ़ी को आधुनिक तरीकों से शिक्षा के माध्यम से जोड़ा जा सके.मौके पर डॉ अभय सागर मिंज अजय केरकेट्टा, शिवशंकर उरांव, ब्रज किशोर बेदिया, रवि कुमार तिर्की, डॉ विनीत कुमार भगत, सरिता उरांव और टाना भगत अतिथि गृह हॉल बनहोरा, रांची के संयोजक जर्नाधन टाना भगत, सुरेश उरांव ने किए.
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