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झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मान देने की मांग, डीसी को सौंपा गया ज्ञापन

Ranchi : झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने सोमवार को डीसी मंजूनाथ भजन्त्री को एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन के जरिये झारखंड अलग राज्य आंदोलन के पुरोधाओं को गजट नोटिफिकेशन कर “झारखंड आंदोलनकारी” के रूप में सम्मानित करने की मांग की गई है.

 

आंदोलनकारियों के संघर्ष-बलिदान को सम्मान दे सरकार

मोर्चा ने कहा कि राज्य के निर्माण में अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले आंदोलनकारियों, उनकी विधवा पत्नियों और यतीम बच्चों की आज स्थिति बेहद दयनीय है. सरकार को चाहिए कि वे उनके संघर्ष और बलिदान को उचित सम्मान दे और उन्हें समाज में स्वाभिमान से जीने का अधिकार सुनिश्चित करे.

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मोर्चा  ने रखी ये मांगें :

- दिशोम गुरु शिबू सोरेन को झारखंड आंदोलनकारी के रूप में गजट नोटिफिकेशन द्वारा सम्मानित किया जाए.

-  झारखंड आंदोलनकारियों को राजकीय मान-सम्मान और अलग पहचान दी जाए.

- आंदोलनकारियों के बच्चों को सौ प्रतिशत रोज़गार और नियोजन की गारंटी मिले.

- जेल जाने की बाध्यता खत्म करते हुए सभी आंदोलनकारियों को 50 हजार रुपये मासिक सम्मान पेंशन दी जाए.

- आंदोलनकारियों को 15 लाख रुपये का समूह बीमा और 10 लाख रुपये तक की मुफ्त चिकित्सीय सुविधा सपरिवार दी जाए.

- आंदोलनकारियों को यात्रा कूपन की सुविधा दी जाए.

- 3 जनवरी को मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा जयंती को झारखंड आंदोलनकारी दिवस और 11 जनवरी को दिशोम गुरु शिबू सोरेन जयंती को महाजनी प्रथा विरोधी दिवस घोषित किया जाए.

- राज्य के हर जिले में झारखंड आंदोलनकारी कॉरिडोर बनाया जाए और आंदोलन के शहीदों के नाम से शिला पट स्थापित किए जाएं.

 

प्रमुख सड़कों का नाम झारखंड आंदोलन के नायकों के नाम पर रखें

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने राज्य की प्रमुख सड़कों का नाम झारखंड आंदोलन के नायकों के नाम पर रखने की मांग की है. 

- रांची-दुमका मार्ग : दिशोम गुरु वीर शिबू सोरेन मार्ग

- रांची-चाईबासा मार्ग : देवेंद्र मांझी मार्ग

- रांची-टाटा मार्ग : शहीद निर्मल महतो पथ

- रांची-धनबाद मार्ग : बाबू विनोद बिहारी मार्ग

- रांची-गुमला मार्ग : सी.पी. तिर्की मार्ग

- रांची-लोहरदगा मार्ग : कमल किशोर भगत पथ

- रांची-हजारीबाग मार्ग : मंजूर हसन पथ

 

मोर्चा ने कहा कि यदि इन मांगों पर सरकार शीघ्र निर्णय लेती है तो यह न केवल आंदोलनकारियों के सम्मान की पुनर्स्थापना होगी, बल्कि झारखंड की अस्मिता और मूल्यों को भी मजबूती मिलेगी.

 

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