तीन दिन बंद रहते हैं मंदिरों के पट
Jeetan Kumar
Deoghar : देवघर देश का इकलौता तीर्थ स्थल है जहां शक्ति और शिव एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि नवरात्र में बाबा नगरी का महत्व और बढ़ जाता है. कहा जाता है कि बाबा मंदिर में शिवलिंग की स्थापना देवी सती के हृदय पर हुई है. माना जाता है कि सती का हृदय नहीं गिरा था. इसी कारण बाबा मंदिर को हृदय पीठ भी कहा जाता है. यह स्थान चिता भूमि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां सती का अंतिम संस्कार हुआ था. यही वजह है कि यह मंदिर देश के अन्य तीर्थ स्थलों से अलग है. बाबा मंदिर में हर दिन भगवान शिव की पूजा से पहले मां शक्ति की आराधना होती है. रोज सुबह और शाम सबसे पहले मां के मंदिर का पट खोला जाता है.
बाबा मंदिर परिसर में ही माता पार्वती, काली व संध्या मंदिर है. नवरात्र में इन तीनों मंदिरों में तांत्रिक विधि से गुप्त पूजा होती है. इस दौरान तीन दिनों तक इन तीनों मंदिरों के पट बंद रहते हैं.शिवलिंग के अर्घ में सती का बस माना गया है. यहां श्रद्धालु शिव से पहले शक्ति की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. नवरात्र में श्रद्धालु मां दुर्गा की आराधना और भोले नाथ की महिमा एक साथ देखने के लिए बाबा बैजनाथ मंदिर पहुंचते हैं. नवरात्र में मंदिर की रौनक देखते ही बनती है.
यहां शक्तिपीठ सतयुग में स्थापित हुआ था. जबकि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना त्रेता युग में हुई थी. धार्मिक कथाओं के अनुसार, रावण शिवलिंग को लंका ले जा रहा था. इसी दौरान उसने शिवलिंग को देवघर क्षेत्र में जमीन पर रख दिया, जहां बाद में बैद्यनाथ मंदिर बना. इस मंदिर में पूजा करने से शिव और शक्ति की भक्ति एक साथ हो जाती है. नवरात्रि में तंत्र साधना के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. हर साल सावन में दूर-दूर से भक्त बाबा बैजनाथ को जल चढ़ाने आते हैं ठीक इसी तरह नवरात्र में भी देवी भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
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