Basant Munda
Ranchi : जगन्नाथपुर मंदिर में हर सुबह सबसे पहले भगवा वस्त्र पहने एक चेहरा दिखाई देता है. वह चेहरा है 66 वर्षीय देवेंद्र नायक का. एक ऐसा नाम जो कभी फूल सुसारी के नाम से जाना जाता था. वर्षों से मंदिर के लिए लकड़ी, पतल और फूल जुटाने वाले नायक आज भी बिना किसी मेहनताना के मंदिर सेवा में जुटे हैं.
सन 1956 में जब मंदिर राजशाही और तंत्र प्रणाली से चलता था, देवेंद्र नायक के नाना नानी हर दिन मंदिर के लिए सामग्री का इंतजाम करते थे. इसके बदले उन्हें कभी सुबह का भोजन, तो कभी दो किलो चावल मिलते थे.यही उनकी सेवा का पुरस्कार था.
नायक परिवार की यह सेवा पीढ़ियों से चली आ रही है. उनके परिवार को मंदिर प्रशासन ने वर्ष 1956 में 50 डिसमिल जमीन दी थी, जिस पर वे खेती कर जीवन यापन करते थे. नायक के अनुसार, यह जमीन उनकी नानी दामी देवी और नाना डुनकु नायक को मिली थी. मूल रूप से यह परिवार कांके प्रखंड के मनातु गांव का है.
हालांकि आज वह जमीन नायक परिवार के हाथ से जा चुकी है. देवेंद्र नायक ने बताया कि भू-माफियाओं ने जमीन पर कब्जा कर लिया था. वहां खेती भी करने लगे थे. इसके बाद यह जमीन सरकार ने ले ली. जमीन के बदले पैसा भी मिला था. यहां पर बिल्डिंग भी बन गयी है.फिलहाल नायक परिवार जगन्नाथपुर मंदिर जाने वाली सड़क के किनारे एक कमरे में रह रहा है.
वर्तमान में देवेंद्र नायक मंदिर के मुख्य द्वार की उत्तर दिशा में सफाई का काम करते हैं. जूता-चप्पल स्टैंड और गाड़ी पार्किंग की देखरेख करते हैं. वह सुबह 5 बजे मंदिर पहुंच जाते हैं, पूजा करते हैं और भगवान की सेवा में लग जाते हैं. उनकी पत्नी मानती देवी भी उनके साथ मंदिर के कार्यों में हाथ बंटाती हैं. दोनों पति-पत्नी पूरी निष्ठा से मंदिर के प्रति समर्पित हैं