Ranchi : राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा है कि इन दिनों देश भर में नदियां उथली हो रही हैं और उनकी सफाई नहीं होती. इसी कारण से देश की नदियां समस्याग्रस्त हुई हैं. राज्यपाल ने कहा कि वह जब अटल जी की सरकार में कुछ दिनों के लिए जल संसाधन मंत्री थे, तब उन्होंने पाया कि देश में नदियों को लेकर जितना काम होना चाहिए था, नहीं हुआ.
राज्यपाल गुरुवार को देवनद दामोदर महोत्सव-गंगा दशहरा के मौके पर आयोजित समारोह के बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. राज्यपाल ने कहा कि देश भर की नदियों की स्थिति खराब हुई है. अब यह जरूरत महसूस की जा रही है कि नदियों के लिए हम सभी लोग मिल कर काम करें . सिर्फ दामोदर के लिए ही नहीं, सभी नदियों के लिए .
राज्यपाल ने कहा कि गंगा दशहरा हमें याद दिलाता है कि हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले ही नदियों को मां कहा, उनके जल को मोक्षदायिनी माना. यहां गंगा तो नहीं, लेकिन दामोदर है. और जैसे गंगा उत्तर भारत की आत्मा है, वैसे ही दामोदर झारखंड की जीवनरेखा है और दामोदर भगवान विष्णु के सहस्र नामों में से भी एक है राज्यपाल ने संस्था युगांतर भारती को बधाई देते हुए कहा कि इसने पर्यावरण को जन आंदोलन बना दिया.
सरयू राय ने दामोदर को बचाने के लिए लंबा आंदोलन छेड़ा
राज्यपाल ने कहा कि सरयू राय ने दामोदर को बचाने के लिए लंबा आंदोलन छेड़ा. पदयात्राएं कीं. लोगों को जगाया. उन्हें समझाया. अब परिणाम साफ दिख रहा है. दामोदर का पानी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. पहले से अब की स्थिति बदली ह . नदियों की स्वच्छता संस्थाओं या सरकारों तक की ही जिम्मेदारी नहीं है. यह हम सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है. एक वक्त गंगा भी बहुत खराब स्थिति में थी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गंगा की स्वच्छता हेतु व्यापक कार्य किया गया. अब तो लोग भी स्वच्छता को लेकर जागरुक हैं .
सरयू राय ने कहा कि दामोदर भगवान विष्णु जी के सहस्त्र नामों में से एक है. जहां से दामोदर का उद्गम है, उसे हमारे अध्ययन दल के लोगों ने खोजा. खोजी स्थान से 25 किलोमीटर तक इस नद का नाम देवनद है . खलारी के बाद से इसका नाम दामोदर पड़ा. दामोदर के उद्गम स्थल से पंचेत जलाशय तक 45 स्थानों पर देवनद-दामोदर महोत्सव मनाया जा रहा है .इस तरह के महोत्सव का एकमात्र उद्देश्य जनजागरुकता है .
आईआईटी (आईएसएम) के प्रोफ़ेसर अंशुमाली ने कहा कि दामोदर झारखंड के अस्सी हज़ार वर्ग किलोमीटर सिंचित क्षेत्र में से पच्चीस हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सिंचित करती है. दामोदर की सहायक नदियां जैसे जमुनिया, कटरी और गरगा को बचाने, उन्हें संरक्षित करने की आज सबसे अधिक ज़रूरत है.