Dhanbad : बिहार के हिजाब प्रकरण से जुड़ी महिला डॉक्टर नुसरत परवीन को लेकर झारखंड की राजनीति गरमा गई है. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी द्वारा डॉ. नुसरत परवीन को झारखंड में सेवा देने पर तीन लाख रुपये मासिक वेतन, मनचाही पोस्टिंग और सरकारी आवास देने की घोषणा पर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया है. चांदनक्यारी के पूर्व विधायक अमर बाउरी ने स्वास्थ्य मंत्री पर जमकर निशाना साधा.
शनिवार को धनबाद पहुंचे अमर बाउरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मंत्री को यह समझना चाहिए कि वे बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान के तहत बने गणराज्य के मंत्री हैं, न कि मुगल साम्राज्य के. उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी घोषणा तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है. अमर बाउरी ने सवाल उठाया कि किस नियम और कानून के तहत इतनी बड़ी सुविधा दी जा रही है. जबकि राज्य में हजारों योग्य युवा बेरोजगार घूम रहे हैं. राज्य के दलित, आदिवासी और जरूरतमंद वर्ग के युवाओं को क्यों नहीं अवसर दिया जा रहा. सिर्फ एक विशेष वर्ग को ही क्यों यह ऑफर दिया जा रहा है.
उन्होंने चाईबासा में चार साल के मासूम बच्चे के शव को पिता द्वारा थैले में घर ले जाने की घटना का जिक्र करते हुए सरकार को संवेदनहीन बताया. कहा कि एक तरफ सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जरूरतमंद लोगों को एंबुलेंस की बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं हो पा रही है.
उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाते हैं, लेकिन कई बार उन्हें इलाज की बजाय मौत मिलती है. सिर्फ सुर्खियों में बने रहना और लंबी-लंबी बातें करना इस सरकार का काम रह गया है.
वहीं, इस मुद्दे पर पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख ने संयमित प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने चाईबासा मामले में जांच के आदेश दिए जाने और दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया. डॉ. नुसरत परवीन के मामले पर उन्होंने पूरी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहने की बात कही. गौरतलब है कि अमर बाउरी और बादल पत्रलेख शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने धनबाद पहुंचे थे.
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