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धनबादः गुरुजी की सलामती के लिए पोखरिया आश्रम में संघर्ष के साथी कर रहे पूजा

Dhanbad : झारखंड आंदोलन के प्रणेता व झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन (गुरुजी) की तबीयत नाजुक बनी हुई है. वे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हैं. उनके स्वास्थ्य को लेकर पूरे राज्य में चिंता का माहौल है. वहीं, उनके संघर्ष के ऐतिहासिक स्थल धनबाद के टुंडी स्थित पोखरिया आश्रम में दुआओं का दौर जारी है. शिबू सोरेन के राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष का एक बड़ा केंद्र धनबाद रहा है. टुंडी के पोखरिया स्थित आश्रम उन्हीं दिनों की गवाही देता है जब वे जमींदारों के अन्याय के खिलाफ आदिवासियों की जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे.

गुरुजी इसी आश्रम में अपने साथियों के साथ बैठकर रणनीति बनाते थे और झारखंड अलग राज्य आंदोलन की नींव को मजबूत करते थे. आश्रम में आज भी उनके संघर्ष के दिनों के साथी श्यामलाल मुर्मू के परिजन और शिबू सोरेन के रसोइए रहे ननकू मुर्मू अपने परिवार सहित रहते हैं. जैसे ही ननकू मुर्मू को शिबू सोरेन की तबीयत बिगड़ने की खबर मिली, वे गहरे भावनात्मक जुड़ाव के साथ गुरुजी की सलामती के लिए संथाली विधि-विधान से पूजा-प्रार्थना करने लगे. पोखरिया आश्रम में रह रहे लोगों का कहना है कि शिबू सोरेन स्वस्थ रहने पर पोखरिया आश्रम जरूर आते थे और वे बच्चों की शिक्षा, संगठन की मजबूती और आदिवासी समाज के उत्थान पर बात करते थे.

श्यामलाल मुर्मू के परिजनों और ननकू मुर्मू ने बताया कि न केवल गुरुजी, बल्कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन भी समय-समय पर आश्रम आते रहे हैं और आश्रम को आंदोलन की जन्मस्थली बताते हुए पुरानी यादें साझा करते हैं. शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि झारखंड के आदिवासी आंदोलन की आत्मा रहे हैं. उनकी खराब तबीयत की खबर से पूरा झारखंड चिंतित है. पोखरिया आश्रम जैसा संघर्ष का प्रतीक स्थल आज भी उनके जीवन, सोच और संघर्ष की विरासत को जीवित रखे हुए है. यहां की हर दीवार, हर व्यक्ति ‘गुरुजी’ की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा है.

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