New Delhi : सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने आज ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित जानकारी साझा की. कहा कि हमने पाकिस्तान के कोने-कोने में नौ ठिकानों पर निशाना साधा. राजीव घई ने कहा कि 22 अप्रैल को (पहलगाम में) आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी.
#WATCH | Delhi | Director General Military Operations Lt Gen Rajiv Ghai says, "So the drones came in in large numbers even after the two DGMOs had spoken... This led us to swing the Indian Air Force into action, and in the precision strikes that they carried out on the night of… pic.twitter.com/XhTdvxaest
— ANI (@ANI) October 14, 2025
उन्हें निशाना बनाया, उनकी पहचान की, उनके समुदाय के बारे में पूछा और उनके परिवारों और प्रियजनों के सामने उन्हें बेरहमी से गोली मार दी. उसके बाद 6-7 मई की रात और फिर 9 और 10 मई की रात को जो हुआ, वह सबके सामने है.
उनके(पाकिस्तान) द्वारा किये गये हमलों को नाकाम करने के बाद हमने उनके हवाई ठिकानों को नष्ट कर दिया. उनके आठ हवाई अड्डे, तीन हैंगर और चार रडार क्षतिग्रस्त हो गये.एक सी-130 श्रेणी का विमान और एक एईडब्ल्यू, चार से पांच लड़ाकू जेट नष्ट कर दिये.
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि मीडिया में अक्सर कुछ लोगों को यह कहते सुना जाता है कि हम सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हमला कर रहे थे. मुझे लगता है कि यह कहना बहुत ही नासमझी है. यह कहना बेतुका है कि भारतीय सेना जैसी पेशेवर सेना बिना किसी आकस्मिक तैयारी के इस तरह की कार्रवाई करेगी.
हमने चार-पांच कदम आगे की रणनीति बना रखी थी. लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि हमारी कार्रवाई से आहत दुश्मन ने अंतत युद्ध विराम की मांग की. यह कहने में उसे 88 घंटे लग गये. हमने अपने राजनीतिक और सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिये थे.
सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि भारतीय नौसेना भी कार्रवाई के लिए तैयार थी. हमापी नौसेना अरब सागर में पहुंच चुकी थी. अगर दुश्मन ने युद्ध को आगे बढ़ाने का फैसला किया होता, तो यह उनके लिए विनाशकारी हो सकता था,
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कुछ पुरानी घटनाओं को साझा किया. कहा कि 80 के दशक के अंत में जम्मू-कश्मीर में यह (आतंकवाद) समस्या शुरू हुई. तब से अब तक 28,000 से ज़्यादा आतंकवादी घटनाएं हो चुकी हैं.
90 के दशक से, 1,00,000 से ज़्यादा अल्पसंख्यक समुदाय (कश्मीरी पंडित) के लोग जम्मू-कश्मीर से बाहर जाने को विवश हुए. 60,000 से ज़्यादा परिवारों का पलायन हुआ. 15,000 निर्दोष नागरिक और 3,000 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी मारे गये हैं. ऐसा नहीं है कि ऑपरेशन सिंदूर रातोंरात हुआ हो.
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