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नवजात शिशुओं में संक्रमण व इनसेप्सनस पर चर्चा, विशेषज्ञों ने कहा- शिशु मृत्यु दर में कमी लाना सबसे बड़ी चुनौती

Ranchi : इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) रांची की ओर से आयोजित 24वें झारखंड पेडिकॉन के दूसरे दिन शनिवार को ओरमांझी स्थित विनायक इको रिसोर्ट में बाल चिकित्सा विशेषज्ञों ने नवजात शिशुओं में संक्रमण, इनसेप्सनस और शिशु मृत्यु दर पर गहन चर्चा की. कार्यक्रम में जयपुर, एम्स नई दिल्ली, जम्मू, कोलकाता, विशाखापटनम, हैदराबाद, नागपुर सहित देशभर से आए डॉक्टरों ने भाग लिया.

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ राजेश कुमार (बालपन) ने कहा कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है. उन्होंने बताया कि भारत में प्रत्येक 1000 जन्म पर लगभग 14 नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है, जो चिंता का विषय है.

 

उन्होंने कहा कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को गर्म रखना, नाभि की साफ-सफाई करना, स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करना और मातृत्व के प्रथम दूध का सेवन कराना अत्यंत आवश्यक है.

 

डॉ कृष्ण कुमार ने बताया कि समय के साथ नवजातों के इलाज में तकनीकी प्रगति ने चिकित्सा व्यवस्था को नया आयाम दिया है. पहले जहां दवाओं को चूर्ण बनाकर दिया जाता था, वहीं अब वेंटिलेशन जैसी आधुनिक तकनीक से इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में नवजात देखभाल के लिए प्रशिक्षित नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है.

 

सम्मेलन में डॉ श्याम सुंदर सिडाना ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नई क्रांति ला रहा है. लेकिन उन्होंने चेताया कि यदि डॉक्टर की निगरानी और सटीक निर्देश न हों तो एआई गलत दिशा में परिणाम दे सकता है. उन्होंने एआई आधारित डायग्नोसिस सिस्टम को केवल सहायक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने पर जोर दिया.

 

हैदराबाद की डॉ अपर्णा ने नवजात शिशुओं में संक्रमण और इनसेप्सनस के लक्षणों पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने कहा कि नवजात में बुखार, सुस्ती, दूध न पीना और सांस लेने में कठिनाई संक्रमण के शुरुआती संकेत हैं. उन्होंने अनावश्यक एंटीबायोटिक के उपयोग से बचने की सलाह दी, ताकि दवाओं के प्रति प्रतिरोध (एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस) को रोका जा सके.

 

वहीं, डॉ अभिषेक रंजन ने थैलेसीमिया पर प्रस्तुति दी और कहा कि आनुवांशिक जांच और समय पर निदान से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. डॉ केएस दास ने संक्रमण नियंत्रण के उपायों पर जोर दिया और कहा कि अस्पतालों में संक्रमण रोकथाम की सख्त व्यवस्था होनी चाहिए. डॉ. अभिषेक झा ने नवजात कैंसर के आपातकालीन इलाज और शुरुआती पहचान के महत्व पर चर्चा की.

 

इस अवसर पर IAP के अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता, डॉ राजीव मिश्रा, सचिव ड राजेश कुमार (बालपन), संयुक्त सचिव डॉ. शैलेश चंद्रा, डॉ श्याम सिडाना, डॉ अनिताभ कुमार, डॉ परमानंद काशी, डॉ किरण शंकर दास, डॉ रतन कुमार, डॉ निशांत पाठक, डॉ हेमंत, डॉ अजीत सहाय सहित देशभर के कई प्रमुख चिकित्सक मौजूद थे. कार्यक्रम में कैचेट फार्मा के निरज कुमार ने भी भाग लिया.

 

सम्मेलन के अंत में विशेषज्ञों ने संकल्प लिया कि राज्य में नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, मातृत्व देखभाल के प्रति जागरूकता और आधुनिक तकनीक के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया जाएगा.

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