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केरा के 400 साल प्राचीन मां भगवती मंदिर में धूमधाम से हो रही दुर्गा पूजा

  • 400 वर्षों से हो रही केरा मंदिर में दुर्गा पूजा
  • नवरात्र में बलि प्रथा पर रहती है रोक
  • मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता
  • वृक्षों के नीचे होती थी पूजा
  • पर्यटन विभाग ने कराया सौंदर्यीकरण

Chaibasa :  पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर प्रखंड स्थित केरा गांव का प्राचीन मां भगवती मंदिर नवरात्रि के मौके पर भक्ति और उत्साह से सराबोर है. यहां 400 वर्षों से दुर्गा पूजा की परंपरा चली आ रही है, जिसकी शुरुआत फोड़ाहाट महाराज अर्जुन सिंह (तीसरे) के छोटे बेटे अजंबर सिंह ने की थी. वर्तमान समय में यह पूजा केरा राज परिवार द्वारा आयोजित की जाती है.

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नवरात्र में बलि प्रथा पर रहती है रोक

नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. परंपरा के अनुसार, नवरात्र के दस दिनों तक यहां बाहरी बलि प्रथा पर रोक रहती है. हालांकि, इस दौरान मंदिर और राजपरिवार के स्तर पर नियमित पूजन-अर्चन का कार्य जारी रहता है. बलि की परंपरा 4 अक्टूबर से पुनः शुरू होगी.

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पर्यटन विभाग ने 25 लाख रुपये की लागत से कराया सौंदर्यीकरण

इस वर्ष दुर्गा पूजा में केरा मंदिर नया स्वरूप लिए हुए है. झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग ने करीब 25 लाख रुपये की लागत से मंदिर का सौंदर्यीकरण कराया है. मंदिर की दीवारों और गर्भगृह का रंग-रोगन भगवा रंग में किया गया है, जो इसकी भव्यता और आकर्षण को और बढ़ा रहा है. पूर्व में मंदिर प्रबंधन परंपरागत रंग से ही इसका रंग-रोगन कराता था.

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वृक्षों के नीचे होती थी पूजा

मान्यता है कि आज से 300-400 साल पहले मां भगवती की पूजा वृक्षों के नीचे की जाती है. बाद में  केरा रियासत के ठाकुर लोकनाथ सिंह देव ने इस मंदिर का निर्माण करवाया और यह धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

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मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता

इस मंदिर से श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है, जिसकी वजह से यह ना सिर्फ पश्चिमी सिंहभूम और आस-पास के जिलों में बल्कि पूरे झारखंड में विख्यात है.  इतना ही नहीं पड़ोसी राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से भी श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचते हैं.  मान्यता है कि इस सिद्धपीठ मंदिर में अगर कोई सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. मां भगवती के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता. 

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30 को महाअष्टमी, 1 अक्टूबर को नवमी

गौरतलब है कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हो चुकी है. आज 24 सितंबर को तृतिया तिथि है. 25 और 26 सितंबर को चतुर्थी तिथि है. वहीं 27 सितंबर को पंचमी, 28 को षष्ठी, 29 सितंबर को सप्तमी, 30 सितंबर को महाअष्टमी, 1 अक्टूबर को नवमी और 2 अक्टूबर को विजयदशमी की पूजा संपन्न होगी.

 

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