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झारखंड में E-KYC की रफ्तार धीमी, 61.89 लाख राशन कार्डधारक अब तक वेरीफाई नहीं

  • सरकार की लापरवाही का खामियाजा आम जनता भुगत रही

Ranchi :  झारखंड में राशन कार्ड से जुड़ी ई-केवाईसी प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत केंद्र सरकार ने सभी पीएचएच और अंत्योदय कार्डधारकों के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य किया था और अंतिम तिथि 30 जून 2025 तय की गई थी.

 

लेकिन चार महीने बाद भी राज्य में 61,89,925 सदस्य ई-केवाईसी नहीं करा पाए हैं. यह संख्या झारखंड के कुल 2.63 करोड़ राशन कार्डधारक सदस्यों का लगभग 23.53% है.  जबकि अब तक केवल 76.47% सदस्यों का ही ई-केवाईसी पूरा हो सका है.

 

किन जिलों में सबसे ज्यादा ई-केवाईसी है पेंडिंग

झारखंड के कई जिले ई-केवाईसी में काफी पीछे हैं. इनमें सबसे अधिक धनबाद (4,95,218), गिरिडीह (4,91,004), पलामू (4,74,729), पश्चिमी सिंहभूम (4,11,421) और रांची (3,90,775) में राशन कार्डधारकों का ई-केवाईसी पेंडिंग है.

 

वहीं बोकारो में 2,19,357, चतरा में 2,23,684, देवघर में 2,38,531, दुमका में 2,81,533, पूर्वी सिंहभूम में 3,36,978, गढ़वा में 3,15,903, गोड्डा में 3,05,290, गुमला में 2,09,716, हजारीबाग में 2,87,847, जामताड़ा में 1,71,959 और खूंटी में 1,07,870 सदस्य अभी भी ई-केवाईसी नहीं करा सके हैं.

 

इसके अलावा कोडरमा में 94,281, लातेहार में 1,48,814, लोहरदगा में 97,593, पाकुड़ में 1,67,519, रामगढ़ में 1,15,686, साहेबगंज में 2,32,013, सरायकेला-खरसांवा में 2,20,740, सिमडेगा में 1,51,464 और कोल्हान के पश्चिमी सिंहभूम में 4,11,421 लोगों का ई-केवाईसी नहीं हो पाया है. 

 

तकनीकी दिक्कतें बनी मुख्य वजह

ई-केवाईसी में देरी के पीछे तकनीकी परेशानियां बड़ी बाधा हैं. जानकारी के अनुसार, कई जगहों पर पुरानी 2G ई-पॉस मशीनें,  कमजोर नेटवर्क और सर्वर की समस्या के कारण लाभुकों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है.

 

केंद्र की चेतावनी

केंद्र सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि ई-केवाईसी समय पर नहीं होने पर राज्यों की अनाज सब्सिडी प्रभावित हो सकती है. ऐसे में झारखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि लंबित ई-केवाईसी की वजह से गरीब परिवारों को मिलने वाला राशन बाधित न हो.

 

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