- चांद देखने के लिए झारखंड में 65, बिहार में 100 से ज्यादा हेलाल केंद्र बनाये गये
- 29 रमजान को चांद देखने के मामले में काजीयाने शरीयत का फैसला अंतिम होगा
- एदार-ए-शरीया बिहार-झारखंड की बैठक में उलेमा, मुफ्ती, काजी ए शरीयत व मस्जिदों के इमाम ने हिस्सा लिया
Ranchi/Patna : एदार-ए-शरीया बिहार-झारखंड की वर्चुअल मीटिंग 29 रमजानुल मुबारक के चांद देखने को लेकर केंद्रीय एदार ए शरीया के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद मौलाना गुलाम रसूल बलयावी की अध्यक्षता में हुई, जिसका संचालन एदार- ए -शरीया झारखंड के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने की. बैठक में कहा गया कि चांद को लेकर कभी-कभी असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है और अफवाहों का बाजार भी गर्म हो जाता है. इसलिए एदार-ए-शरीया ने बड़े पैमाने पर चांद देखने का केंद्र बनाया है. बिहार में 100 से ज्यादा, जबकि झारखंड में 65 जगहों पर हेलाल केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दी गयी. (पढ़ें, लैंड स्कैम के आरोपी ईडी कोर्ट में हुए पेश, फिर से सभी 5 दिन की ED रिमांड पर)
एदार-ए-शरीया ने बनाया चांद देखने का केंद्र
इसी तरह बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, लखनऊ, बनारस, मुम्बई, बेंगलुरु, असम, त्रिपुरा, दिल्ली जैसे राज्यों के स्टेट एदार-ए-शरीया को भी यही गाइडलाइन दी गयी. मीटिंग में रांची, पटना, धनबाद, पूर्णिया, जमशेदपुर, गया, रामगढ़, मुजफ्फरपुर, हजारीबाग, सिवान, गढवा, किशनगंज, लोहरदगा, भागलपुर, दुमका, नवादा, राजमहल, सासाराम, कोडरमा, दरभंगा, गिरिडीह, कटिहार के उलेमा, मुफ्ती, काजी-ए-शरीयत, मस्जिदों के इमाम एवं समाज के प्रबुद्ध लोगों ने शिरकत की. बैठक में गहन विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया गया कि 21 अप्रैल 2023 को ईद-उल- फित्र का चांद नजर आने की उम्मीद है.
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अफवाह पर ध्यान न दें, एदार-ए-शरीया के फैसले का इंतजार करें
एदार-ए-शरीया ने मुस्लिम समुदाय के तमाम व्यक्तियों से कहा है कि 29 रमजान को किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें, बल्कि एदार-ए-शरीया के फैसले का इंतजार करें. बैठक में पूर्व सांसद मौलाना गुलाम रसूल बलियावी, मुफ्ती हसन रजा नूरी, मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी, मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली, मुफ्ती डॉ अमजद रजा अमजद (पटना), मौलाना शमसुल हक (पूर्णिया), मौलाना सैयद अहमद रजा (भागलपुर), मुफ्ती सलाहुद्दीन निजामी (जमशेदपुर), मुफ्ती फैजुल्लाह मिस्बाही, मौलाना डॉक्टर ताजुद्दीन, मुफ्ती एजाज हुसैन, मुफ्ती शम्स तबरेज, अकीलुर्रहमान (रांची), डॉ यासीन अनसारी (गढ़वा), मुफ्ती अनवर निजामी, मुफ्ती अब्दुल जलील (हजारीबाग), सैयद नुरूल ऐन बरकाती, मुफ्ती रिजवान (धनबाद), मौलाना सैयद रजी अहमद (डालटनगंज), मुफ्ती कमरुज्जमा मिसबाही (मुजफ्फरपुर), मौलाना नवाजिश करीम फैजी (पटना), मुफ्ती सैयद मोईनुद्दीन कादरी (राजमहल), मौलाना हबीब आलम, मौलाना अबु होरैरा मिसबाही (रामगढ़), मुफ्ती नुरुह होदा, मौलाना अलाउद्दीन कादरी (बोकारो), मौलाना शहादत हुसैन, मौलाना मुमताज रजा मिसबाही (कोडरमा), मुफ्ती अहसन रजा (सीतामढ़ी), इरशाद अहमद, मौलाना आसिफ इकबाल (गिरिडीह), मौलाना रेयाजुद्दीन, हाजी अफसर कुरैशी (लोहरदगा), मुफ्ती जुबैर आलम सिद्दीकी (पूर्णिया), रहबर मिसबाही (कटिहार) आदि शामिल थे.
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