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झारखंड में हाथियों की संख्या हो गई 68 फीसदी कम

  • •    आठ साल में कम हो गए 461 हाथी
  • •    2017 में हाथियों की संख्या थी 678, 2025 में हो गई 217
  • •    वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Ranchi : झारखंड में हाथियों की संख्या में भारी गिरावट आई है, जो अब मात्र 217 रह गई है. इसका खुलासा वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में हुआ है. रिर्पोट के अनुसार, 2017 में हाथियों की संख्या 678 थी, जो 2025 में अब यह संख्या घटकर 217 रह गई है. इस हिसाब से 461 हाथी कम हो गए हैं. यानि हाथियों की संख्या में 68 फीसदी की कमी आई है. 

 

हाथियों की संख्या कम होने की वजह है पलायन


वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड से हाथियों के कम होने की वजह पलायन है. दलमा, सारंडा और पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके से हाथी पलायन कर दूसरे राज्यों में चले गए हैं. सारंडा के हाथी ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में चले गए हैं, जबकि कुछ हाथी मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में दाखिल हो गए हैं.

 

मानव अतिक्रमण भी है वजह 


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाथियों के प्रवास को मानव अतिक्रमण और बुनियादी ढांचे के लिए नुकसान पहुंचाया गया है. झारखंड में 25,118 वर्ग किलोमीटर जंगल का इलाका है, लेकिन मानव गतिविधियों के कारण हाथियों का प्रवास प्रभावित हो रहा है.

 


झारखंड में हाथी मानव द्वंद की फैक्ट फाइल


•    2005 से 2014 के बीच हाथी और मनुष्य के संघर्ष में 576 लोगों की मौत हुई है.
•    2019 से 2024 के बीच 474 लोगों की मौतें हुई हैं.
•    प्रतिवर्ष 80 के करीब लोगों की मौत हाथी और मनुष्य के संघर्ष के बीच होती है
•    रांची, हजारीबाग, रामगढ़, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, लातेहार और गढ़वा के इलाके में संघर्ष होता है.
•    89.2 प्रतिशत मौत जंगल के बाहरी इलाके में संघर्ष के दौरान होती है.
•    2005 से 2017 के बीच पूरे झारखंड में 30 हाथियों की मौत हुई है, जिसमें से बिजली का करंट, रेलवे, शिकार और अन्य कारण शामिल रहे हैं

 

 

 

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