Ranchi : रांची स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा नागरिकों की सुरक्षा और त्वरित सहायता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम’ अब धीरे-धीरे प्रभावहीन साबित होती दिख रही है. चार वर्ष पूर्व बड़े उत्साह के साथ शुरू की गई यह योजना अब तकनीकी रखरखाव और जन-जागरूकता की कमी के कारण ठप होती नजर आ रही है.
शहरभर में लगाए गए थे 50 कॉल बॉक्स
फरवरी 2021 में इस योजना के तहत रांची शहर के प्रमुख चौराहों, बाजारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में कुल 50 ‘इमरजेंसी कॉल बॉक्स’ लगाए गए थे. इन कॉल बॉक्सों को चमकीले पीले रंग में रंगा गया था, ताकि इन्हें दूर से आसानी से पहचाना जा सके.
इन बॉक्सों में दो-तरफा संचार प्रणाली लगी हुई थी, जिससे कोई भी व्यक्ति आपात स्थिति में लाल बटन दबाकर सीधे कमांड कंट्रोल सेंटर से संपर्क कर सकता था. इसके बाद पुलिस या संबंधित एजेंसियां मौके पर तुरंत मदद के लिए पहुंचती थीं.
चार साल बाद जमीनी हकीकत
चार साल बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना की स्थिति संतोषजनक नहीं है. रांची स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन के आंकड़ों के अनुसार, 50 में से 9 कॉल बॉक्स पूरी तरह खराब पड़े हैं, जबकि बाकी का भी उपयोग बहुत कम हो रहा है.
साल 2025 में इन कॉल बॉक्सों का इस्तेमाल केवल दो बार किया गया. एक बार पत्रा टोली में हुए सड़क हादसे में और दूसरी बार एसएसपी आवास के पास हुई दुर्घटना के दौरान.
स्मार्टफोन युग में घटा महत्व
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि आज के समय में लगभग हर व्यक्ति के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा है. ऐसे में वे मदद मांगने के लिए सीधे मोबाइल कॉल या ऐप का उपयोग अधिक सुविधाजनक मानते हैं.
अब किसी को भी परेशानी होती है तो वे सीधे 112 या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मदद मांग लेते हैं. कॉल बॉक्स ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती, एक स्थानीय निवासी ने बताया.
तकनीकी रखरखाव
परियोजना की विफलता का एक बड़ा कारण इसका नियमित रखरखाव न होना और जनता में इसके उपयोग को लेकर पर्याप्त जागरुकता न फैलाना है. कई बॉक्सों के स्पीकर और कैमरे खराब हैं, जबकि कुछ में बिजली की आपूर्ति भी बाधित है.



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