Ranchi: दिशोम गुरू शिबू सोरेन का आज सुबह दिल्ली में निधन हो गया. वे बीते कई दिनों से इलाजरत थे. जिससे झारखंड में शोक की लहर है. आदिवासियों के प्रणेता शिबू सोरेन के निधन पर देशभर से शोक संदेश आ रहे हैं. वहीं अपने मुखिया के निधन पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी शोक संदेश जारी किया है, लिखा है -
दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से पूरा झामुमो शोक में डूब गया है. झामुमो ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि आज झारखंड की हवा शांत है...जंगल सिसक रहा है...नदियां-पहाड़ मौन हैं और... हमारी आत्मा रो रही है....झारखंड निर्माता दिशोम गुरु अब हमारे बीच नहीं रहे! आगे लिखा है कि हमारे बीच से सिर्फ एक नेता नहीं गए - एक युग पुरुष, दिशोम गुरु, मार्गदर्शक, झारखंड की आत्मा - आदरणीय शिबू सोरेन जी हम सभी को छोड़कर प्रकृति की गोद में समा गए हैं. ये सिर्फ शोक नहीं, एक युग का अंत है.
वो हमारे लिए पहाड़ की तरह अडिग और नदी की तरह सहज थे
दिशोम गुरु कोई नाम नहीं था, वो हमारे आंदोलन की रगों में बहता हुआ एक विश्वास था. वो हमारे लिए पहाड़ की तरह अडिग और नदी की तरह सहज थे. एक ऐसा नेतृत्व, जो न कभी झुका, न कभी थका. उन्होंने हमें सिर्फ राजनीति करना नहीं सिखाया, बल्कि उन्होंने हमें अपने लोगों से प्यार करना, उनकी तकलीफ को महसूस करना और उनके हक-अधिकारों के लिए पूरे हौसले से लड़ना सिखाया.
वे पिता स्वरूप थे
हममें से कई लोगों के लिए वे पिता स्वरूप थे. हमारे सपनों में उनका खून-पसीना लगा था. उन्होंने हमसे कहा था- झारखंड केवल एक भूगोल नहीं, यह हमारी पहचान है. इसे बचाना, संवारना और मजबूत करना ही हमारा कर्म है.
हमें हाथ पकड़कर चलना सिखाया
उन्होंने हमें हाथ पकड़कर चलना सिखाया. जब हम पहली बार गांव-गांव में संगठन बनाने निकले थे. जब डर था, संसाधन नहीं थे, तब उनका विश्वास हमारे साथ था. उन्होंने हमें कहा था - हमारे लोगों को कभी मत छोड़ना. उनकी आवाज बनो. सत्ता आएगी-जाएगी, लेकिन अपनी मिट्टी और अपने लोग नहीं बदलने चाहिए. और यही उन्होंने खुद भी करके दिखाया.
उनका जीवन एक संघर्ष था
उनका जीवन एक संघर्ष था - पहले जमींदारों से, फिर व्यवस्था से, फिर इस देश की राजनीतिक सोच से - जो आदिवासियों, शोषितों और वंचितों को हाशिये पर रखती थी. लेकिन उन्होंने हर मोर्चे पर डटकर लड़ाई लड़ी. संघर्ष करते हुए जेल गए, जान को खतरा हुआ, लेकिन डिगे नहीं. और आखिरकार उन्होंने झारखंड का सपना साकार किया और एक उन्नत झारखंड की नींव रखी.
आज की पीढ़ियां उनके संघर्षों की गाथाएं सुनकर बड़ी हुई हैं. और अब, जब वे हमारे बीच नहीं हैं, हमें उनके अधूरे सपनों को पूरा करना है - एक समतामूलक, स्वाभिमानी, स्वशासी और उन्नत झारखंड का.
झारखंड को दिशा दी, नाम दिया, पहचान दी
दिशोम गुरु जी ने झारखंड को दिशा दी, नाम दिया, पहचान दी. हम सबको परिवार की तरह पाला. आज आपके जाने से हमारा हृदय निर्जीव हो गया है, लेकिन आपकी प्रेरणा में ही हमारा संकल्प है. आपका जीवन दीपक की तरह था - खुद जलते रहे, लेकिन सबको रोशनी देते रहे. आपकी कमी कोई नहीं भर सकता, लेकिन आपके मार्ग पर चलना ही अब हमारा कर्तव्य है. झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार की ओर से, हम आपको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
आपका आशीर्वाद सदा बना रहे..... आपका सपना - हमारा संकल्प बने... झारखंड निर्माता दिशोम गुरु सदैव अमर रहें... वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें....अंतिम जोहार दिशोम गुरुजी!
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