Ranchi : झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी लंबित मांगों को 15 नवंबर तक पूरा नहीं किया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन के साथ हड़ताल भी शुरू करेंगे.
मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर जाने से अबुआ आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आम बगवानी, कूप निर्माण जैसी योजनाएं प्रभावित होंगी और करीब 50 लाख मजदूरों को काम नहीं मिल पाएगा.
मजदूरों का कामकाज भी होगा ठप
दरअसल मनरेगा में संविदा कर्मी मजदूरों की उपस्थिति ऐप के माध्यम से दर्ज करते हैं. यदि कर्मी हड़ताल पर जाते हैं, तो यह प्रक्रिया रुक जाएगी और इससे कामकाज ठप पड़ सकता है. झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ ने बैठक में संगठन विस्तार और लंबित मांगों की पूर्ति के लिए आंदोलन की रूपरेखा भी तय की है.
संगठन की बैठक और आरोप
बीते दिनों हुई बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय ने कहा कि मनरेगा कर्मी 18 वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आज भी केवल अल्प मानदेय पर काम करना पड़ रहा है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि नए नियमों के जरिए मनरेगा को लगातार कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.
मनरेगा कर्मियों की प्रमुख मांगें
मनरेगा कर्मियों ने सरकार के समक्ष अपनी कई महत्वपूर्ण मांगें दोहराई हैं, जिनमें सेवा स्थाईकरण, उचित वेतनमान, सेवा शर्त नियमावली में सुधार, ग्रेच्युटी व पेंशन, मकान किराया भत्ता, ग्रुप बीमा और मृत्यु मुआवजा, अनुकंपा आधारित नौकरी, शिक्षा भत्ता, दैनिक/यात्रा भत्ता और राज्यांश टॉप-अप की सुविधा शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी
महासचिव दीपक महतो ने कहा कि सरकार ने 1.60 लाख अनुबंध कर्मियों के नियमितीकरण की बात कही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इसमें मनरेगा कर्मियों को शामिल किया गया है या नहीं. उन्होंने चेताया कि यदि स्थिति स्पष्ट नहीं हुई, तो मनरेगा कर्मी वेतनमान और स्थायीत्व की मांग को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे.
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