Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि झारखंड के युवाओं के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात उन लोगों ने किया जिन्होंने 18 साल तक राज्य पर शासन किया लेकिन एक भी नियमित भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की.
उन्होंने कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा रद्द करने का फैसला पारदर्शिता और तकनीकी शुचिता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है. यही एक जिम्मेदार सरकार की पहचान है.
विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा शासनकाल में प्रतियोगी परीक्षाओं का बेड़ा गर्क किया गया, जबकि हेमंत सरकार ने उसे पारदर्शी बनाया है. भाजपा के नेता युवाओं के नाम पर केवल सस्ती राजनीति कर रहे हैं. मरांडी के मुख्यमंत्री रहते झारखंड लोक सेवा आयोग की स्थिति बेहद खराब थी और रघुवर शासन में जेएसएससी परीक्षा में पेपर लीक के मामले दबा दिए गए थे.
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार युवाओं के भविष्य को प्राथमिकता दे रही है और किसी भी परीक्षा को शुचिता के साथ पूरा कराना उसका लक्ष्य है. भाजपा से सवाल करते हुए पांडेय ने कहा कि जब वे सत्ता में थे तब रोजगार सृजन के कौन से कार्यक्रम शुरू किए गए थे.
मिशन वात्सल्य योजना पर भाजपा के आरोपों को पांडेय ने राजनीतिक नौटंकी बताया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझ कर झारखंड को फंड नहीं दे रही है ताकि राज्य सरकार को बदनाम किया जा सके.
राज्य सरकार बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और बाल गृहों, सीडब्ल्यूसी व जेजेबी के सुदृढ़ीकरण पर काम कर रही है. पांडेय ने कहा कि भाजपा झूठे आंकड़ों की राजनीति करती है जबकि हेमंत सरकार हर बच्चे और परिवार की सुरक्षा के लिए संवेदनशीलता से काम कर रही है.
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