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सावन की दूसरी सोमवारी पर दिखा आस्था, रांची के शिवालयों में उमड़ी भीड़

Ranchi :  सावन की दूसरी सोमवारी पर पहाड़ी मंदिर, समेश्वर मंदिर, इक्कीसो महादेव धाम समेत शहर के विभिन्न शिवालयों और शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. पहाड़ी मंदिर समिति के लोगों ने बताया कि दूसरी सोमवारी में पहले सोमवारी की अपेक्षा श्रद्धालुओं की भीड़ कम है. पहाड़ी मंदिर में हजारों शिव भक्तों ने बाबा भोलेनाथ का दर्शन किए. दूसरी सोमवारी में मंदिर परिसर और आसपास का इलाका मेला स्थल जैसा नजारा है.

 

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श्रद्धालुओं के लिए सजी सैकड़ों दुकानें


मंदिर के चारों ओर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दुकानें सजी हैं. पूजा सामग्री जैसे दूध, बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा और मिट्टी से बने चुक्का मात्र 10 से 20 रुपये में उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि कोई भी भक्त बिना कठिनाई के भगवान शिव को जल और दूध अर्पण कर सके.

 

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तिलक लगवाने वालों की लगी कतारें


मंदिर के सामने कई साधु-बाबा अष्टगंध, सिंदूर, हल्दी, मिट्टी आदि से भक्तों के माथे पर भोलेनाथ का तिलक लगा रहे हैं. श्रद्धालु इस तिलक को शिव कृपा का प्रतीक मानकर बड़े भाव से ले रहे हैं.

 

 

नाग देवता का दर्शन कराते बाबा-सपेरा


बांस की बनी टोकरी में नाग देवता लेकर घूमते बाबा श्रद्धालुओं को नाग देवता का दर्शन करा रहे हैं. इसके बदले वे भक्तों से सुख-शांति और समृद्धि की कामना करने को कहते दिखे. सावन में नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है. इनके दर्शन से घर और मन की शान्ति प्राप्ति होती है.

 

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17 रुपये से शुरू हुई दुकान, आज बना जीवन आधार


माला बेचने वाली माधुरी देवी बताती हैं कि हमारे सास-ससुर 60-70 साल से यही दुकान सजाते रहे हैं.  हमने 17 रुपये से शुरू किया था और आज यही हमारी रोजी-रोटी है. उनका कहना है कि पहले प्रसाद ही भोलेनाथ को अर्पित होता था, अब भक्त खुद भी पूजा सामग्री ले जाकर अर्पण करते हैं.

 

 

 

श्रद्धा के प्रतीक: मालाओं की बढ़ी मांग


श्रद्धालु विशेष प्रकार की मालाएं पहनकर मन की शांति और शिव कृपा की कामना कर रहे हैं. रुद्राक्ष माला, तुलसी माला, शांति मोती, एक मुखी से सात मुखी रुद्राक्ष, बागेश्वर धाम माला, भवड़ी माला जैसे विकल्पों की बिक्री जोरों पर है.

 


धार्मिक ज्वेलरी व रुद्राक्ष की भी जमकर खरीदारी


स्टील के कड़े, महाकाल बैंड, रुद्राक्ष लोकेट जैसे पूजा से जुड़े आभूषणों की भी मांग तेज हो गई है. इन वस्तुओं को श्रद्धालु आस्था, सुरक्षा और धार्मिक पहचान से जोड़कर खरीद रहे हैं.

 

 

 

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