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झारखंड में किसान हो रहे हैं उपेक्षित, बाजार में मिल रहा ब्लैक में यूरिया

Ranchi:  झारखंड के किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. ग्रामीण इलाकों में रह रहे 80 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं, लेकिन सरकार उनके हित में ठोस कदम नहीं उठा रही है. बजट में कृषि के लिए मात्र 3-4 प्रतिशत प्रावधान होता है और वह भी बंदरबांट की भेंट चढ़ जाता है. 


सोमवार को प्रेस क्लब में किसान महासभा की बैठक में ये बातें कही गयीं. उन्होंने कहा कि आज किसान खेती छोड़कर मजदूरी करने के लिए विविश हो गए हैं. किसान महासभा अध्यक्ष राजु कुमार महतो, कार्यकारी अध्यक्ष पंकज राय, कार्यकारी सदस्य मनोहर महतो और केंद्रीय महासचिव उपेंद्र गुरु ने कहा कि सरकार किसानों के साथ छल कर रही है. 

 

धान खरीदी में हो रही लापरवाही, बजट का पैसा बिचौलियों की जेब में


किसान महासभा के अध्यक्ष राजु महतो ने कहा कि राज्य में इस बार 2,50,092 क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य तय किया गया है. राज्य में 5 बड़े गोदाम और 736 पैक्स केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहां 58,858 किसान पंजीकृत हैं. 


बावजूद इसके धान खरीदी में घोर लापरवाही बरती जा रही है. धान खरीदने के बाद किसानों को समय पर पैसा नहीं दिया जाता. कई बार उन्हें बिचौलियों को औने-पौने दाम पर फसल बेचनी पड़ती है. इधर धान उपजाने वाले किसान खाद और यूरिया के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सरकारी केंद्रों में यूरिया उपलब्ध नहीं, जबकि ब्लैक में ऊंचे दाम पर मिल रहा है.

 

गैरमजुरुआ जमीन की रसीद कटना बंद हो


गैरमजुरुआ जमीन पर वर्षों से किसान कब्जा किए हुए है. इस जमीन का रसीद कटवाने से किसान वंचित हैं. 2012 से रसीद बंद कर दी गई है. कई किसानों की जमीन प्रोजेक्ट्स में ले ली गई, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला. किसान संगठनों का कहा कि सरकार 80 प्रतिशत किसानों की जमीन हड़पने का काम कर रही है.

 

हाट-बाजार पर तेजी से हो रहा है कब्जा, किसान बेबस

 

गांवों में लगने वाले हाट-बाजार पर भी छोटे-छोटे व्यवसाय का अवैध कब्जा हो रहा है. किसान वहां अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं. इसकी वजह से व्यापारी उनकी सब्जियों को औने-पौने दाम में खरीद ले रहे हैं. किसानों की दुर्दशा को देखते हुए पंचायत स्तर पर किसान बचाओ यात्रा शुरू करने की रणनीति बनाई जा रही है.

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