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अपराध ससुर का, पिटाई दामाद की, कोर्ट ने पीड़ित को दिया एक लाख मुआवजा का आदेश

Ranchi: हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह और न्यायाधीश राजेश शंकर ने पीड़ित क्यूम चौधरी को एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार एक सप्ताह के अंदर मुआवजे की राशि पीड़ित को दें. इसके बाद दोषी पुलिस अधिकारियों से इस राशि की वसूली करे. मामले गुमला जिले के चैनपुर पुलिस द्वारा ससुर के अपराध के बदले दामाद को पकड़ कर बेरमही से पीटने से संबंधित है.


उल्लेखनीय है कि चैनपुर पुलिस एक दिसंबर 2025 को बिना किसी अपराध के क्यूम चौधरी को घर से पकड़ कर थाना ले गयी. इसके बाद उसे थाने में रख कर बेरहमी से पीटा और दो दिसंबर को छोड़ दिया. ससुर के अपराध के बदले दामाद की पिटाई के इस मामले में नफीजा बीबी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. 

 

तीन दिसंबर को न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई. न्यायालय के आदेश के पर गुमला के एसपी हारिस बिन जमा कोर्ट में ख़ुद हाजिर हुए. उन्होंने कोर्ट में CCTV फुटेज पेश करने में यह कहते हुए असमर्थता जतायी कि थाना में CCTV नहीं लगा है. हालांकि उन्होंने कोर्ट को यह जानकारी दी कि क्यूम चौधरी को बग़ैर किसी अपराध के थाना प्रभारी ने पकड़ कर अनाधिकृत रूप से थाना में बंद किया था. मारपीट के बाद उसे छोड़ा गया. 

 

मामले की जांच के बाद थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. एसपी ने न्यायालय को थाना प्रभारी के निलंबन से संबंधित आदेश की प्रति भी सौंपी. मामले में सुनवाई के बाद न्यायालय ने एसपी की रिपोर्ट के आधार पर यह माना कि क्यूम चौधरी को बिना किसी अपराध या प्राथमिकी के ही थाना में अनाधिकृत रुप से रखा गया था. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

 

न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया. न्यायालय ने अपना फैसला सुनाने से पहले किशोर सिंह रविंद्र देव बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यक्त की गयी राय को उद्धृत किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि “पुलिस कस्टडी में किसी की पिटाई से ज्यादा कायरतापूर्ण और अमानवीय कुछ नहीं है. 

 

मानवधिकारों की परवाह किये बिना सरकारी अधिकारी द्वारा पागलों की तरह काम करने से ज्यादा  हमारे संवैधानिक परंपराओं पर इससे ज्यादा गहरा घाव कोई नहीं करता.”


न्यायालय ने इसे उद्धृत करते हुए अपना फैसला सुनाया. पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही DGP को यह निर्देश दिया कि वह Custodial Violence को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये दिशा निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित कराये. साथ ही इससे संबंधित शपथ पत्र दायर करें. न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि सात जनवरी 2026 निर्धारित की है.

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