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फिरायालाल पब्लिक स्कूल का 27वां वार्षिकोत्सव 'Root to Wings’ का समापन

Ranchi : फिरायालाल पब्लिक स्कूल, रांची में आज विद्यालय का 27वां वार्षिकोत्सव समारोह 'Root to wings'  अत्यंत उत्साहपूर्ण और गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ. ये सब कार्यक्रम बालवाटिका से कक्षा 5 तक के बच्चों ने अपने गुरु जनों के कुशल नेतृत्व में तैयार किया था.

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इस कार्यक्रम के माध्यम से नन्हें कलाकारों ने अपनी प्रतिभा और कला कौशल से प्रदर्शित किया कि उनकी जड़ें इस विद्यालय में इतनी मजबूत हो रहीं हैं कि वे भविष्य की सुनहरी उड़ान के लिए पूर्णतया तैयार हैं. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामवीर सिंह, (रीजनल ऑफिसर, सीबीएसई रांची) और विशिष्ट अतिथि हरीश मुंजाल ( विद्यालय के संस्थापक ) थे.

 

विद्यालय की शिक्षा निदेशिका सुषमा मुंजाल, चेयरमैन ऋतुल मुंजाल, विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य गण, विभिन्न विद्यालयों के डायरेक्टर और प्राचार्य, विद्यालय के प्राचार्य नीरज कुमार सिन्हा, उप प्राचार्या हनीत मुंजाल, शिक्षक जन, सहायक कर्मचारी गण और अभिभावक वृन्द भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे. विद्यालय के बैण्ड ग्रुप ने ड्रम, बैग पाइप इत्यादि वाद्ययंत्रों के साथ सधे हुए कदमताल से अतिथियों का स्वागत किया जिससे वे अभिभूत दिख रहे थे.

 

‘रुट टू विंग्स’ वार्षिकोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरंभ मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं गणमान्य व्यक्तियों के कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. इस अवसर पर सभी विशिष्ट अतिथियों को पुष्पगुच्छ, पुष्पपौधे, दुशाला और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया.

 

चतुर्थ कक्षा की आद्या केसरी ने आमंत्रित अतिथियों के लिए स्वागत भाषण दिया. कार्यक्रम का आरंभ स्वागत गीत तथा आकर्षक प्रार्थना नृत्य “Heavenly Harmony” से हुआ जिससे वातावरण में आध्यात्मिक सुगंध फैल गई. साथ ही हमारी परंपरा, संस्कृति और विरासत जीवंत हो उठी.

 

नन्हें विद्यार्थियों की रंगारंग प्रस्तुति “Rhythm with South” ने दर्शकों को भी झूमने पर मजबूर कर दिया. रंगीन वेशभूषा से सज्जित नर्सरी से प्रेप के बच्चे, दर्शकों को अपनी कलात्मक नृत्य से किसी और लोक की मानस यात्रा करवा रहे थे. 

 

प्राचार्य नीरज कुमार सिन्हा ने “Reimagining Education” विषय पर अपने विचार साझा किए और आधुनिक शिक्षा की रूपरेखा पर महत्वपूर्ण बिंदु विचार रखे. नई शिक्षा नीति 2020 के नीतियों को विस्तार पूर्वक समझाया, साथ ही इस नीति को अक्षरशः पालन करने वाला पहला स्कूल फिरायालाल पब्लिक स्कूल है – ऐसी उदघोषणा भी की.

 

पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हुई अगली प्रस्तुति थी – हिन्दी नाटक – 'जल है कल है', जिसे नन्हें अदाकारों ने अपने दमदार अभिनय से इस ज्वलंत विषय को सोच विचार का मुद्दा बना दिया. 

 

उप-प्राचार्या हनीत मुंजाल ने प्रेरक संबोधन प्रस्तुत किया, जिसमें विद्यालय के वेबसाईट का उन्नत संस्करण के बारे में बताते हुए कहा कि ये वेबसाईट हमारे संस्थान को और भी अधिक विद्यार्थी केन्द्रित, पारदर्शी और भविष्य के लिए तैयार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. विद्यालय की हरेक जानकारी अब बस एक क्लिक से सामने आ जाने वाली है.

 

वस्तुत: समारोह का विशेष आकर्षण रहा विद्यालय की नई डिजिटल पहल — “Upgraded Website 2.0” का औपचारिक शुभारंभ, जिसे उपस्थित सभी अतिथियों ने सराहा.

 

इसके बाद कक्षाओं III, IV एवं V के विद्यार्थियों ने ऊर्जा से भरपूर Zumba Blast की प्रस्तुति दी. इसके माध्यम से बच्चों ने बड़ों को यह सीख दी कि स्वास्थ्य रक्षा मनोरंजन के साथ साथ भी की जा सकती है. उनके थिरकते कदमों ने दर्शकों को भी झूमने पर मजबूर कर दिया. 

 

कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के द्वारा विद्यालय के शिक्षकों का सम्मान उनके दायित्व निर्वहन के लिए किया गया. सम्मानित शिक्षकों के नाम हैं- पद्मजा पट्टायट, सुकृति, श्रावणी, शाइनी, दोयेल, सिल्की रोबा, सुनील प्रसाद और बिजय राज वर्मा.

 

अंग्रेजी नाटिका “The Price of Pride” ने सामाजिक मूल्यों और विनम्रता का संदेश दिया. इस नाटक के माध्यम से बच्चों ने राजसी वेशभूषा से सुसज्जित होकर ठाठ बाठ के साथ नैतिक सिद्धांत को भी उदाहरण सहित परिभाषित किया. 

 

कक्षा II के बच्चों ने उमंग और उत्साहपूर्ण “Punjabi Tadka” नृत्य से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. अपने इस शानदार नृत्य से उन्होंने प्रमाणित किया कि भले ही वे छोटे हैं लेकिन उनकी ये प्रतिभा नैसर्गिक है.

 

विद्यालय के समन्वयकों ने “Shaping the Future” प्रस्तुति के माध्यम से विद्यालय की उपलब्धियों और योजनाओं को दर्शाया. साथ ही माता पिता और अभिभावकों के लिए प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया, जिसमें भाग लेकर वे भी वार्षिकोत्सव का हिस्सा बन गए और माहौल जीवंत और खुशनुमा बन गया.

 

वाद्य संगीत प्रस्तुति “Rhythmic Talent” अपने आप में अद्वितीय रहा, जिसमें बच्चों ने अपने अनोखे वाद्ययंत्र से सुमधुर संगीत की प्रस्तुति दी. ये वाद्ययंत्र दैनिक जीवन से जुड़ी हुए वस्तुएं थी – चम्मच, गिलास, बाल्टी, बोटल, थाली, पेंट के खाली डिब्बे, इत्यादि.

 

इन्होंने यह साबित किया कि अगर मन में मधुरता हो तो संगीत हर वस्तु से प्रवाहित हो सकती है, किसी खास वाद्ययंत्र की कोई आवश्यकता नहीं होती. यह प्रोग्राम अपने आप में अद्भुत और अकल्पनीय था. 

 

कक्षा IV एवं V के बच्चों ने पारंपरिक सांस्कृतिक लावणी नृत्य “Marathi Jalwa”   का शानदार प्रदर्शन कर वार्षिकोत्सव की शाम को और रंगीन बना दिया, जिसे दर्शकों के द्वारा खूब सराहा गया.

 

इस प्रस्तुति ने साबित कर दिया कि भले ही हम पाश्चात्य संस्कृति की ओर खिंचे चले जाते हैं लेकिन हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता भी उतनी ही आकर्षित करती है और इस तरह हम आधुनिक होने के साथ साथ परंपरा से भी बंधे रहने में अपने आपको आनंदित महसूस करते हैं. मुख्य अतिथि श्रीराम वीर सिंह ने अपने प्रेरक संबोधन “Words of Wisdom” में शिक्षा, अनुशासन और समग्र विकास के महत्व पर प्रकाश डाला.

 

समारोह का अत्यंत भावपूर्ण और कलात्मक आकर्षण था “Victory of Love”, जिसे इस वर्ष एक संक्षिप्त रामायण आधारित नृत्य-नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया गया. विद्यार्थियों ने राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के चरित्रों का सूक्ष्म अभिनय करते हुए भक्ति, प्रेम, कर्तव्य और विजय  के संदेश को जीवंत कर दिया.

 

कार्यक्रम का समापन ग्रैंड फिनाले से हुआ जिसमें नन्हें कलाकारों ने भारत की विश्वविजेता महिला क्रिकेट टीम की सराहना करते हुए अपनी भावनाओं को गीत और नृत्य के माध्यम से उनका यशोगान किया.

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