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झारखंड में FMG डॉक्टरों को नहीं मिल रहा स्टाइपेंड, 8 महीने से कर रहे बिना वेतन काम

Ranchi: झारखंड के सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे विदेशी मेडिकल स्नातक (FMG) डॉक्टरों का दर्द अब बढ़ता जा रहा है. NMC और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, इन इंटर्न डॉक्टरों को पिछले 8 महीनों से एक रुपया तक स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है.

 

विदेश से MBBS की पढ़ाई पूरी कर लौटे ये युवा डॉक्टर भारत में प्रैक्टिस करने से पहले NMC की स्क्रीनिंग टेस्ट पास करते हैं. इसके बाद एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप करनी होती है. सुप्रीम कोर्ट और NMC दोनों ने साफ कहा है कि FMG डॉक्टरों को भी भारतीय MBBS छात्रों की तरह सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिसमें स्टाइपेंड भी शामिल है.

 

लेकिन झारखंड सरकार इस आदेश को मानने को तैयार नहीं है. डॉक्टरों का कहना है कि वो हर दिन 6 से 12 घंटे तक काम कर रहे हैं, हफ्ते में 6-7 दिन की ड्यूटी है, लेकिन अब तक उन्हें एक भी पैसा नहीं मिला है. हम रोटी, किराया और ट्रांसपोर्ट के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर हैं. सरकार हमसे काम तो ले रही है, लेकिन बदले में कुछ नहीं दे रही, एक इंटर्न डॉक्टर ने बताया.

 

FMG डॉक्टरों का आरोप है कि वो राज्य के स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री से कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला.

 

अक डॉक्टर ने बताया कि बिहार, बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में FMG डॉक्टरों को स्टाइपेंड दिया जा रहा है. लेकिन झारखंड में हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही. ऐसा कहकर एक और डॉक्टर ने नाराजगी जताई.

 

डॉक्टरों का यह भी कहना है कि जब राज्य सरकार मंईयां योजना के तहत महिलाओं को 2500 हर महीने दे रही है, तो अस्पतालों में काम कर रहे इंटर्न डॉक्टरों को स्टाइपेंड देने में क्या दिक्कत है?

 

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि झारखंड के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री भी खुद एक विदेशी मेडिकल स्नातक रह चुके हैं, लेकिन वो भी इस मुद्दे पर चुप हैं.

अब FMG डॉक्टरों ने मीडिया के जरिए अपनी आवाज उठाई है और मांग की है कि जल्द से जल्द उन्हें स्टाइपेंड दिया जाए, ताकि वो सम्मान के साथ अपनी सेवा दे सकें.