Ranchi : आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों से जुड़े पेसा कानून को झारखंड कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद रामेश्वर उरांव के आवास में हजारों आदिवासी संगठनों और पारंपरिक व्यवस्था के लोगों में खुशी की लहर थमने का नाम नही ले रहा है.
मंगलवार को डीआईजी ग्राउंड, बरियातु स्थित पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव के आवास पर खुशी का महौल देखने को मिला, जहां आदिवासी संगठनों, पारंपरिक अगुवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर और फूलों की बारिश कर बधाइयां दीं.
इस अवसर पर मुंडा, उरांव, संथाल, खड़िया हो सहित विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद थे. सभी ने इसे आदिवासी समाज के लंबे संघर्ष की बड़ी जीत बताया.
पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि पेसा कानून के मॉडल रूल पहले ही भेजे गए थे, लेकिन झारखंड में इसके लागू होने में देरी हुई. यह कानून आदिवासियों के अधिकारों को मजबूत करेगा. जब अधिकार मिलते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी भी समाज को उठानी होती है.
उन्होंने भरोसा जताया कि पेसा कानून से शोषण रुकेगा और जमीनें सुरक्षित होंगी. सामाजिक कार्यकर्ता निशा उरांव ने कहा कि पेसा कानून आदिवासी समाज के लंबे संघर्ष का परिणाम है. अब अधिकार सिर्फ कागजों में नहीं, बल्कि लोगों के हाथ में आ गए हैं.
इससे गांवों में सहभागिता बढ़ेगी और पारंपरिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी. राज्य के 16 जिलों में पेसा कानून लागू होगा, जिससे ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार मिलेंगे और आदिवासी समाज अपने जल-जंगल-जमीन की रक्षा स्वयं कर सकेगा.
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