Ranchi : आदिवासियों के हातु मुंडा से लेकर सीएम पद को कुड़मी समाज कब्जा करना चाहता है, इसलिए कुड़मी एसटी का स्टेटस का दर्जा रेल टेका डहर छेका का रास्ता अपना रहे हैं. मंगलवार को सिरम टोली सरना स्थल पर आदिवासी अस्त्तित्व बचाव मोर्चा ने बैठक किया.
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि कुड़मी समाज एसटी सूची दर्जे की मांग कर आदिवासियों के हातु मुंडा, मुखिया, सीएम पद को छीनने के लिए प्रयास कर रहे हैं. कुड़मी समाज को भारत सरकार ने 75 वर्षों से इन्हें हक से वंचित रखा है.
ये झारखंड के सबसे पुराने बाशिंदे है, क्योंकि इनके पूर्वज छोटानागपुर में छोटानागपुर में 65 हजार साल पहले आये थे. दामोदर नदी के तट पर 30 करोड़ साल पहले बसा राढ़ सभ्यता इनका है, इत्यादि लेकिन इनके द्वारा किए गए सभी दावे बेबुनियाद तथ्यहीन एवं फर्जी है. झारखंड के कुड़मी महतो आदिवासी नहीं है.
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि 12 अक्तूबर को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी आक्रोश महारैली आयोजित है, इसमें हजारों आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे. सभी एकजुट होकर कुड़मी एसटी मांग का विरोध दर्ज कराएंगे. क्योंकि कुड़मी एसटी सूची में सूचीबद्ध होने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं. रेल टेका डहर छेका आंदोलन किया गया.
सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण कच्छप ने कहा कि कुड़मी कभी आदिवासी नही थे और नहीं रहेंगे, क्योंकि इनकी धर्म संस्कृति हिन्दू रिति रिवाज से चलता है. कुड़मी केवल सता पर कब्जा करने के लिए सरकार से एसटी का दर्जा मांग रहे हैं.
मौके पर मौके पर अजय तिर्की, गैलसन डुंगडुंग, प्रवीण कच्छप, सुषमा बड़ाईक, सुषमा बिरुली, ज्योती भेंगरा, रुपचंद तिर्की समेत दर्जनों लोग मौजूद थे.
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