Ranchi : झारखंड राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड (JSBCL) के भीतर पनप रहे भ्रष्टाचार और प्रशासनिक शिथिलता को लेकर विभाग के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त गजेंद्र कुमार सिंह के बयानों ने राज्य के तत्कालीन उत्पाद सचिव की नीतियों और नीयत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. गजेंद्र सिंह के बयानों से स्पष्ट है कि झारखंड में प्लेसमेंट एजेंसियों को न केवल खुली छूट दी गई, बल्कि उनके हितों की रक्षा के लिए सरकारी खजाने को भारी क्षति पहुंचाई गई.
तत्कालीन संयुक्त आयुक्त ने अपने बयान में स्वीकार किया है कि वर्ष 2022-23 से ही राज्य के राजस्व हितों की लगातार अनदेखी की जा रही थी. मई 2022 से शराब का स्टॉक दुकानों में जमा था. लेकिन प्लेसमेंट एजेंसियों ने न्यूनतम गारंटीड राजस्व (MGR) के लक्ष्य को पूरा नहीं किया. चौंकाने वाली बात यह है कि वसूली करने के बजाय JSBCL ने इन एजेंसियों की 'बैंक गारंटी' से कटौती नहीं की. यह जानबूझकर किया गया प्रशासनिक विलंब था, जिससे निजी एजेंसियों को अनुचित वित्तीय लाभ मिला और सरकारी खजाना खाली होता गया.
बयान में Vision Hospitality Services और Marshan Innovative जैसी कंपनियों का नाम लेते हुए बैंक गारंटी की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए हैं. बैंक गारंटी पहले वरिष्ठ अधिकारियों के निजी मोबाइल पर पहुंचती थी, जिसके बाद JSBCL पर तत्काल एग्रीमेंट करने का दबाव बनाया जाता था. बिना उचित सत्यापन के एग्रीमेंट की इस जल्दबाजी ने भ्रष्टाचार की जड़ों को और मजबूत किया. दुकानों पर एमआरपी (MRP) से अधिक दाम पर शराब की बिक्री और 'सेल बनाम डिपॉजिट' के बीच बढ़ते भारी अंतर (खासकर सितंबर 2024 के बाद) की जानकारी शीर्ष स्तर को बार-बार दी गई थी, इसके बावजूद, न तो नई एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया शुरू की गई और न ही चूक करने वाली कंपनियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई हुई.
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