Ranchi : झारखंड राज्य के निर्माण के साथ-साथ जीईएल चर्च में भी एक नया अध्याय शुरू हो गया औऱ महिला पादरियों का उदय होने लगा. 26 अक्टूबर 2000 को रांची के ख्रीस्त गिरजाघर जीईएल चर्च में पहली बार तीन महिलाओं को पुरोहित के रूप में अभिषेक किया गया. इनमें पादरी मेरीयन मिंज, ऐजाबेला बारला और आसिशन कंडुलना शामिल है. इन्हीं तीन नामों से महिला नेतृत्व की यात्रा शुरू हुई, जो अब 52 महिला पादरियों तक पहुंच चुकी है.
25 साल में मिला 52 महिला नेतृत्व
पिछले 25 वर्षों में जीईएल चर्च में न सिर्फ महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, बल्कि उन्होंने अपनी सेवा और समर्पण से चर्च की दिशा और दशा दोनों को नया आयाम तक पहुंचा दिया. आज 52 महिला पादरी देशभर के विभिन्न कलिसियाओं में सेवा दे रही है.
7 राज्यों में संभाल रहीं हैं जिम्मेदारी
झारखंड, ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश समेत सात राज्यों में महिला पादरी चर्च के विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं. ये महिलाएं अनुशासित और ईमानदार से सेवा दे रही हैं, ये विश्वासियों की आवाज बनकर चर्च प्रशासन में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही हैं.
जीईएल चर्च में कई महिला पादरी आज महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं
-पादरी आसिशन कंडुलना वर्तमान में मिशन अध्यक्ष (सुपरिटेंडेंट) पद पर हैं.
-पादरी सोसोरिता कंडुलना महिला सचिव के पद पर अपनी सेवा दे रही हैं.
-पादरी इदन टोपनो गोस्नर थियोलॉजिकल कॉलेज में अध्यापन कार्य से जुड़ी हैं.
पादरी प्रभा किरण कुजुर पीटीएम प्रचारक ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण का कार्य देख रही हैं.
सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी कई महिला पादरी लगातार कलिसियाई सेवा में समर्पित हैं.
अब महिला बिशप बनने की उम्मीद
जीईएल चर्च के इतिहास में अब तक बिशप पद पर केवल पुरुष ही आसीन रहे हैं. लेकिन समय बदल रहा है और अब चर्च के भीतर यह उम्मीद जागी है कि जल्द ही महिला बिशप का पद भी साकार होगा.पहली बार महिला पुरोहितों के रूप में शुरू हुई यह यात्रा अब नेतृत्व के शिखर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है
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