Ranchi: झारखंड में घाटशिला विधानसभा उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. पूर्व मंत्री स्व. रामदास सोरेन के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी और नियम अनुसार, छह महीने के भीतर यहां उपचुनाव होना तय है.
झामुमो की ओर से चर्चा है कि पार्टी दिवंगत नेता के बड़े बेटे सोमेश सोरेन या उनकी पत्नी को मैदान में उतार सकती है. वहीं भाजपा एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे को टिकट देने पर विचार कर रही है.
स्थानीय मुद्दे तय करेंगे सियासी गणित
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के अपने पुराने मुद्दे हैं, जिन पर चुनावी जंग लड़ी जाएगी. अलग जिला बनाने की मांग, बंद खदानों को फिर से चालू कराना और किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा प्रमुख एजेंडे बने हुए हैं. इस क्षेत्र में घाटशिला, धालभूमगढ़, मुसाबनी और गुड़ाबांदा का आधा हिस्सा शामिल है. उत्तर में पश्चिम बंगाल और दक्षिण में ओडिशा की सीमा होने से यह इलाका रणनीतिक रूप से भी अहम माना जाता है.
बीते चुनावों का हाल
• 2024 चुनाव: झामुमो प्रत्याशी रामदास सोरेन ने भाजपा के बाबूलाल सोरेन को 22,446 वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी.
• 2019 चुनाव: भाजपा और आजसू अलग-अलग लड़ने के कारण नुकसान झेलीं और झामुमो के रामदास सोरेन ने जीत दर्ज की.
• 2014 चुनाव: भाजपा ने पहली बार यह सीट जीती. लक्ष्मण टुडू ने झामुमो के रामदास सोरेन को 6,403 वोटों से हराया था.
• 2009 चुनाव: रामदास सोरेन ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप बालमुचू को महज 1,192 वोटों से हराकर पहली जीत दर्ज की थी
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