Ranchi : झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स कानून को लेकर गिग वर्कर्स और उनके प्रतिनिधियों ने एक ठोस और दूरदर्शी प्रस्ताव पेश किया है. यह प्रस्ताव राज्य के हज़ारों फूड डिलीवरी, कैब ड्राइवर, होम सर्विस और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े श्रमिकों के हक़ और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है.
झारखंड प्रदेश टैक्सी एंड ऐप बेस्ड वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष सुरेद्र सिंह ने कहा कि पूरे टर्नओवर के ऊपर दो परसेंट सेंस और बुकिंग डिलीवरी पर 2फीसदी लगना चाहिए.
गिग वर्कर्स की मांगें
राज्य सरकार सभी गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म कंपनियों का अनिवार्य पंजीकरण कराये, ताकि उनका औपचारिक रिकॉर्ड बने और योजनाओं का लाभ मिल सके.
वर्कर्स के लिए स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा, पेंशन, बेरोजगारी भत्ता और मुआवज़ा जैसी योजनाएं तुरंत शुरू की जाएं. असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे इन युवाओं को भी सुरक्षा का अधिकार मिले.
हर डिलीवरी, राइड या सेवा पर कंपनियों से टैक्स वसूल कर एक गिग वर्कर्स सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जाए, जिससे बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं मिलें .गिग वर्कर्स के हक़ों की निगरानी और संरक्षण के लिए एक बोर्ड बने, जिसमें सरकार, कंपनियों और गिग वर्कर्स के प्रतिनिधि शामिल हों.
गिग वर्कर्स के लिए एक स्वतंत्र शिकायत निवारण प्रणाली बने, जहां वे अपनी समस्याएं दर्ज कर समाधान पा सकें.वर्कर्स को उनके द्वारा किए गए काम, कुल कमाई, कटे हुए कमीशन और सरकार या कंपनी द्वारा सामाजिक सुरक्षा कोष में किए गए अंशदान की पूरी जानकारी मिलनी चाहिए.