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दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देना भारत की नई परंपरा : सेना प्रमुख

NewDelhi :    देश इस साल 26 वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है. इस अवसर पर आज कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 26वें कारगिल विजय दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संदेश था. इसके जरिये भारत ने पाकिस्तान को बताया कि आतंकवाद और उसके समर्थकों को अब बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने इसे पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ एक निर्णायक और प्रतीकात्मक जवाब बताया.

 

 

जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के लिए एक सख्त संदेश के साथ पूरे देश के लिए एक गहरे घाव बने पहलगाम हमले का जवाब भी था. भारत अब केवल शोक नहीं करता, बल्कि निर्णयात्मक कार्रवाई भी करता है. दुश्मन को कड़ी प्रतिक्रिया देना अब हमारी नई परंपरा बन चुकी है. 

 

 

अब ई-श्रद्धांजलि दे सकेंगे लोग

सेना प्रमुख ने इस  मौके पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी और इस अवसर पर तीन नई परियोजनाओं का शुभारंभ भी किया , जिनमें एक पोर्टल भी शामिल है. जहां लोग शहीदों को 'ई-श्रद्धांजलि' दे सकते हैं.

इन तीन परियोजनाओं का हुआ शुभारंभ

ई-श्रद्धांजलि पोर्टल :  एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, जहां नागरिक शहीदों को ऑनलाइन श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.

क्यूआर कोड-आधारित ऑडियो गेटवे :  स्मारक पर आने वाले लोग क्यूआर कोड स्कैन करके 1999 के कारगिल युद्ध की लड़ाइयों की कहानियां सुन सकते हैं.

सिंधु व्यू पाइंट :  एक नया व्यू पाइंट जो आगंतुकों को बटालिक सेक्टर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) तक पहुंचने और वहां से भारत की सामरिक स्थिति को देखने का अवसर प्रदान करता है. 

 

कारगिल विजय दिवस : बलिदान की याद

हर साल 26 जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस मनाता है. वह दिन जब 1999 में भारत ने पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों को मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. यह दिन भारत के वीर सैनिकों के अदम्य साहस, बलिदान और रणनीतिक श्रेष्ठता का प्रतीक है. 

सेना ने असंभव बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी : सीडीएस जनरल अनिल चौहान 

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कारगिल युद्ध के बारे में बात करते हुए कहा कि हमारी सेनाओं ने असंभव बाधाओं का सामना किया, चरम मौसम की स्थिति में, चक्करदार ऊंचाइयों पर, दुश्मन की भारी गोलाबारी के बीच लगभग खड़ी चट्टानों पर चढ़े और विजयी हुए. यह ऑपरेशन युवा अधिकारियों के अनुकरणीय नेतृत्व का प्रमाण है, जिन्होंने अभूतपूर्व खतरे का सामना करते हुए साहसपूर्वक अपने सैनिकों को जीत की ओर अग्रसर किया.

 

 

जनरल चौहान ने उन वीर सैनिकों को याद किया, जिन्होंने अद्वितीय वीरता, दृढ़ता और देशभक्ति का परिचय देते हुए भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए निडर होकर लड़ाई लड़ी. उन्होंने पाकिस्तान के विश्वासघात की कड़वी सच्चाई को स्वीकार किया, जहां पाकिस्तानी सेना ने मुजाहिदीन के वेश में नियमित सैनिकों को भेजकर संघर्ष को हिमालय पर्वतमाला से आगे बढ़ाया. 

 

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