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हिरासत में मौत के 6 साल बाद परिजनों को मिला मुआवजा, पुलिस ने बताया था नक्सली समर्थक

Ranchi : पुलिस हिरासत में मौत के छह साल बाद परिजनों को मुआवजा दिया जायेगा. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की अनुशंसा पर झारखंड सरकार ने मृतक के आश्रित को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्णय लिया है. झारखंड गृह विभाग ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है. दरअसल नवंबर 2019 में चतरा जिला बल और कोबरा बटालियन ने एक संयुक्त अभियान के दौरान वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्र में बेचन गंझू को हिरासत में लिया था. इसी दौरान उसकी मौत हो गई थी. पुलिस ने उस वक्त बेचन गंझू को नक्सल समर्थक बताया था और दावा किया था कि वह माओवादी कमांडर इंदल के संपर्क में रहकर पुलिस मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों तक पहुंचाता था. 

 

पुलिस हिरासत में मृत बेचन गंझू को बताया नक्सलियों का समर्थक

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, 22 नवंबर 2019 को वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्र में संयुक्त अभियान चलाया था. इसी क्रम में 23 नवंबर को चुनौटिया जंगल में पुलिस ने एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा, जिसने अपना नाम मिथिलेश और पता जोरी बताया.  उसकी निशानदेही पर 24 नवंबर की सुबह केडिमो जंगल में दो अन्य व्यक्तियों को पकड़ने की कोशिश की गई.  भागने के क्रम में दोनों व्यक्ति गिरकर घायल हो गए. उनकी पहचान बेचन गंझू और कैलाश गंझू के रूप में हुई.

 

उस समय चतरा के एसपी ने रिपोर्ट में लिखा है कि पूछताछ में दोनों ने बताया कि वे शीर्ष माओवादी गौतम, इंदल, अमरजीत, आलोक, नीरू, संतोष, रामजतन, सहदेव और चंदन के दस्ते के साथ चलते थे. वर्तमान में गांव में ही रहकर सब जोनल कमांडर इंदल के संपर्क में रहकर पुलिस की सूचना उस तक पहुंचाते हैं. मौका मिलने पर विस्फोटक से पुलिस को लक्षित कर फंसाने की योजना बनाते हैं. 

 

गिरफ्तारी के बाद, थाना लाने के क्रम में बेचन गंझू की तबीयत बिगड़ गयी. उसे हंटरगंज प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया. प्राथमिक इलाज के बाद उसे सदर अस्पताल रेफर किया गया. वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. इस घटना को लेकर सदर थाना में 25 नवंबर को अस्वाभाविक मौत का केस दर्ज किया गया था.

 

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