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क्या कभी आपने अवैध कोयला व्यापारियों की कथा को पढ़ा या सुना हैः बाबूलाल

Ranchi : नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने अवैध कोयला व्यापारियों की कथा बड़े ही निराले ढंग से पेश किया है. सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि मुंशी प्रेमचंद्र की 'दो बैलों की कथा' तो आप सबने पढ़ी होगी, लेकिन क्या कभी आपने अवैध कोयला व्यापारियों की कथा को पढ़ा या सुना है? अगर नहीं, तो ये पढ़िए...बात है राजधानी रांची की...जहां मोरहाबादी इलाके में होटल के बाहर सड़कों पर अक्सर खड़ी रहने वाली मनोज बाबू की बीएमडब्ल्यू कार की लोगों के बीच खूब चर्चा है. चर्चा भी क्यों न हो, काली कमाई से काले रंग की कार, काली आंखों को खूब भाती भी तो है!

 

होटल के भीतर करोड़ों के टर्नओवर वाले कारोबारी कतार में बैठकर चाय-कॉफी पीते हैं

होटल के भीतर करोड़ों के टर्नओवर वाले कारोबारी कतार में बैठकर चाय-कॉफी पीते रहते हैं. बाहर से देखने पर यह सब किसी कार्पोरेट मीटिंग जैसा लगता है, लेकिन हकीकत को जानने वाले कहते हैं कि यह कोयला कारोबार, रैक लोडिंग और रेट फिक्सिंग का असली ‘काला खेल’ है. खेल में खिलाड़ी तो होते ही हैं...लेकिन इस खेल के 'खिलाड़ियों के खिलाड़ी' हैं- किशन जी.

 

'मनोज और किशन की जोड़ी' ने मचाई हुई है धूम

'एक से भले दो' ये कहावत तो सुनी थी पर इसका जीता जागता उदाहरण अब देखने को मिल रहा है. 'मनोज और किशन की जोड़ी' कोयला खदानों से लेकर कांके रोड तक धूम मचाई हुई है. एक तरफ मनोज जिले-जिले में एजेंट तैनात करके करोड़ों की वसूली करा रहे हैं, तो दूसरी ओर किशन साहेब के लिए दिल्ली से लेकर झारखंड तक 'हर तरह के इंतजाम' करने का जिम्मा संभाले हुए हैं. 

 

गाड़ी के सर्विसिंग बिल का इंतजाम भी

जब इतना बड़ा जिम्मा किशन जी स्वयं अपने कंधे पर उठाए हैं तो उनके भी आवागमन का जिम्मा किसी को तो उठाना ही होगा, तो क्या... फॉर्चूनर से चलने वाले किशन के सर्विसिंग बिल का इंतजाम भी 'किसी जी' ने अपने कंधे पर उठाया हुआ है. अब इससे इनके रुतबे का अंदाजा लगाएं या हैसियत का... पर दोनों में सहयोग और सहमति तो किसी बड़े नेता की होगी ही.

 

सीएम से कहा कि अन्य सूत्रों से 'गैंग्स ऑफ कोयला चोरों एवं इनके हिस्सेदार आकाओं' के काले कारनामों की जो जानकारी हम तक पहुंच रही है, वैसे ही आप तक भी इनके कारनामों की जानकारी पहुंच ही रही होगी न. और इस गोरखधंधे में अगर आपकी हिस्सेदारी है तो फिर आपके लिए चुप्पी साधे रहने में ही भलाई है.

 

वैसे इतना खयाल रखिए समय भले लगे लेकिन देर सबेर इस महाघोटाले और झारखंड की खनिज संपदा को लुटवाकर अपनी तिजोरी भरने वालों को उसके किए की सजा जरूर मिलेगी. बस अभी कोयला चोरों एवं उनके सरगनाओं की फिल्मी टाइप कहानी का स्क्रिप्ट देखते रहिए और थोड़ा इंतजार कीजिए.

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