Hazaribagh: डीइओ की कार्यशैली पर शिक्षक संघ ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है. झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने इस संबंध में डीइओ को पत्र लिखकर माध्यमिक विद्यालयों में आवश्यकता से अधिक शिक्षकों के विवरण में उल्लिखित विसंगतियों को सुधारने की बात कही है. उन्होंने लिखा है कि वैसे शिक्षक जो जिले के विभिन्न प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में कार्यरत हैं, उनके नियोक्ता जिला शिक्षा अधीक्षक हैं. जिन मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित किया गया, उनमें से अधिकांश विद्यालय वर्ग एक से आठ तक मध्य विद्यालय के रूप में और वर्ग नौ से 10वीं या 12 वीं उच्च विद्यालय के रूप में कार्य कर रहे हैं. उसके नियोक्ता क्रमशः जिला शिक्षा अधीक्षक व जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं. ऐसी स्थिति में वर्ग एक से 10 या 12 तक पीटीआर की गणना उच्च विद्यालयों के निर्धारित मानक के अनुरूप करना न्यायसम्मत नहीं है.
बताया जाता है कि कई प्रखंडों में स्थित विद्यालयों में अलग-अलग परिसर में वर्ग एक से आठ तक कक्षाएं संचालित हैं. दोनों परिसरों के मध्य कई स्थानों पर एक किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी है. पदमा प्रखंड के चंपाडीह विद्यालय, टाटीझरिया प्रखंड के खैरा-कर्मा विद्यालय, सदर प्रखंड के बभनबै विद्यालय, दारू प्रखंड के दिगवार, चुरचू प्रखंड के आंगो और प्रखंड मुख्यालय स्थित चुरचू सहित कई विद्यालयों में मध्य व उत्क्रमित उच्च विद्यालय निरंतर अलग-अलग संचालित किए जा रहे हैं. ऐसे में दोनों को एक इकाई मानना न्यायसम्मत नहीं है.
प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों का वेतन शीर्ष 2202 है और स्थापना भी माध्यमिक शिक्षकों से भिन्न है. जिस किसी भी विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक का शिक्षण किया जाता है, वहां नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार 2009 के नियम प्रभावी हैं और न्यूनतम छात्र-शिक्षक अनुपात की गणना इसकी धारा 19 व 25 के अनुरूप की जानी चाहिए और यह बाध्यकारी भी है. वहीं वर्ग एक से पांच में प्रत्येक 30 पर एक शिक्षक व छह से आठ में प्रत्येक 35 पर एक शिक्षक आवश्यक है. यहां यह स्पष्ट है कि वर्ग एक से पांच के लिए 0-30 छात्रों तक एक शिक्षक, 30 से 60 छात्रों तक न्यूनतम दो शिक्षक, इसी प्रकार छह से आठ के लिए 0-35 छात्रों के लिए एक शिक्षक, 35-70 छात्रों के लिए न्यूनतम दो शिक्षक व इसी अनुरूप में वांछनीय छात्र -शिक्षक के अनुपात की गणना की जानी चाहिए. यह उन उच्च विद्यालयों के लिए भी बाध्यकारी है, जहां एक से आठ तक की भी कक्षा संचालित की जाती है.
संघ ने लिखा है कि पूर्व में इस प्रावधान को सुनिश्चित किया जाता रहा है कि किसी भी सरकारी विद्यालय में न्यूनतम एक सरकारी शिक्षक अवश्य हों, पर अगर वर्तमान युक्तिकरण की सूची का अनुपालन किया गया, तो जिले के लगभग 93 विद्यालय सरकारी शिक्षक विहीन हो जाएंगे. चुरचू प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लारा, सदर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय गुरहेत और उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेदलाग जैसे दर्जनों विद्यालय हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा संचालित नव प्राथमिक विद्यालयों को छात्रों के अभाव में जब बंद कर दिया गया, तो वहां कार्यरत सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) को निकटवर्ती विद्यालयों में ट्रांसफर कर दिया गया. इसके कारण वर्तमान में कई विद्यालय में कम छात्र शिक्षक अनुपात का लांछन लग रहा है. जब विलय के समय छात्र-शिक्षक अनुपात का ध्यान नहीं रखा गया, तो वर्तमान में इस निर्णय के कारण पूर्ववर्ती शिक्षकों को प्रभावित करना न्यायसम्मत नहीं है.
कई विद्यालयों की प्रकाशित सूची में कार्यरत शिक्षकों व छात्रों की संख्या और शिक्षकों का वर्तमान विद्यालय में योगदान आदि विवरण गलत अंकित है. उदाहरण के लिए सदर प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय बभनवै में छह सरकारी शिक्षक और दो सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) अर्थात कुल आठ शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि सूची में 10 शिक्षक कार्यरत बताए जा रहे हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय कालाद्वार इचाक में सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) की वास्तविक संख्या एक के विरुद्ध दो शिक्षक (पारा) अंकित है. इसी प्रकार इचाक प्रखंड के ही उत्क्रमित मध्य विद्यालय मंगुरा (हिन्दी) में वास्तविक छात्र संख्या 332 के विरुद्ध सूची में 315 अंकित है. जितने भी सरकारी शिक्षक हैं वे स्वीकृत बल के विरुद्ध कार्यरत हैं. जैसे सदर प्रखंड के पबरा में माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों के विरुद्ध छात्र संख्या (नौ से 10) है, जबकि मध्य विद्यालय में स्वीकृत बल आठ और कार्यरत बल भी आठ और छात्रों की संख्या काफी है.
सहायक अध्यापकों (पारा )की नियुक्ति छात्र संख्या के आधार पर झारखंड शिक्षा परियोजना हजारीबाग की ओर से है. ऐसे में या तो सहायक अध्यापकों को पीटीआर की गणना से बाहर रखने की मांग संघ ने की है या फिर उनके सामंजस्य का प्रयास करने की बात कही है. इसके अलावा अगर छात्र-शिक्षक अनुपात की यह विषम परिस्थितियां हैं, तो जिले में कक्षा एक से पांच के लिए 436 और कक्षा छह से आठ के लिए 548 पद सृजन का औचित्य समझ से परे है. पत्र की प्रतिलिपि शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, आयुक्त उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल, डीसी, क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल और जिला शिक्षा अधीक्षक को भी दी गई है.
इसे भी पढ़ें– केरल: राज्यपाल ने वाम मोर्चा सरकार को घेरा, कहा, मुझे परेशान किया गया… वीडियो क्लिप मीडिया के साथ साझा किये
Leave a Reply