Ranchi : झारखंड वन निगम में प्रशासनिक अधिकारों को लेकर रस्साकशी खुले तौर पर सामने आ गई है. हजारीबाग के लघु वन पदार्थ परियोजना अंचल पर पदस्थापित महाप्रबंधक, जो वन संरक्षक स्तर के वरिष्ठ अधिकारी हैं, के कार्यालय को अब वन निगम के प्रबंध निदेशक वाई.के. दास (भा.व.से.) द्वारा प्रत्यक्ष नियंत्रण में लेने की कोशिश की जा रही है.
प्रबंध निदेशक ने 7 नवंबर 2025 को जारी अपने पत्रांक 2069 में स्पष्ट निर्देश दिया है कि अंचल कार्यालय, हजारीबाग से कोई भी पत्र, आदेश या कार्यालय आदेश उनके अनुमोदन के बिना जारी नहीं किया जाएगा. यह आदेश विभागीय गलियारों में ‘असामान्य’ और ‘अत्यधिक हस्तक्षेप’ के रूप में देखा जा रहा है.
स्पष्टीकरण मांगने के बाद दिया गया आदेश
सूत्रों के अनुसार, यह कदम उस समय उठाया गया, जब महाप्रबंधक, लघु वन पदार्थ परियोजना अंचल, हजारीबाग द्वारा प्रबंध निदेशक के करीबी माने जाने वाले रा.व.से. अधिकारी सोवेन्द्र कुमार को लगातार पांच स्पष्टीकरण पत्र जारी किए गए.
पसंदीदा अधिकारी को लगातार अतिरिक्त प्रभार
सरकार द्वारा सोवेन्द्र कुमार को वन निगम मुख्यालय में उप निदेशक (विपणन) पद पर पदस्थापित किया गया था. लेकिन प्रबंध निदेशक के ‘प्रिय’ अफसर माने जाने के कारण उन्हें रांची, गढ़वा और डाल्टनगंज के प्रमंडलीय प्रबंधक का अतिरिक्त प्रभार भी मिला हुआ था. महाप्रबंधक, हजारीबाग ने इन्हीं अतिरिक्त जिम्मेदारियों से जुड़े अनियमित कार्यों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके बाद विवाद तेजी से बढ़ गया.
सेवा अवधि समाप्त होने के बाद भी निरंतर प्रभार रखना गंभीर सवाल
दस्तावेजों के अनुसार, सोवेन्द्र कुमार 31 अक्टूबर 2024 को 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके थे. पर सरकार ने उनकी सेवाएं 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाई थीं. लेकिन सेवा विस्तार समाप्त होने के बाद भी वे कई महत्वपूर्ण फाइलें, चेकबुक, TPI–04 और विभागीय वाहन अपने पास रखे हुए थे, जैसा कि 3 नवंबर 2025 को जारी पत्रांक 397 से स्पष्ट होता है. महाप्रबंधक ने संबंधित कर्मचारियों को दस्तावेज और सामग्री वापस लाने का पत्र निर्गत किया था, जो कि विवाद का मुख्य कारण बताया जा रहा है.
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