Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने सदर अस्पताल लोहरदगा में पिछले 16 वर्षों से रसोइया के रूप में कार्यरत शिल्पी कुमारी को बड़ी राहत देते हुए अंतरिम आदेश पारित किया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंदा सेन की एकल पीठ ने गुरुवार को यह आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को न तो सेवा से हटाया जाएगा, न ही किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी के अधीन कार्य करने के लिए मजबूर किया जाएगा और उन्हें नियमित रूप से वेतन दिया जाएगा.
याचिकाकर्ता ने अपनी रिट याचिका में कहा है कि वह वर्षों 16 से विभाग में सेवा दे रही हैं, लेकिन अब उन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत आउटसोर्सिंग एजेंसियों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे न केवल उनकी भविष्य की नियमित नियुक्ति खतरे में पड़ जाएगी, बल्कि आयु में छूट, अनुभव का वेटेज, और आरक्षण जैसे लाभ भी प्रभावित होंगे. याचिका में यह भी मांग की गई है कि उन्हें ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत पर वही वेतन दिया जाए जो विभाग के नियमित रसोइयों को दिया जाता है.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का मामला उच्चतम न्यायालय के कई निर्णयों में तय नियमितीकरण के मानदंडों पर खरा उतरता है, और इसलिए उन्हें नियमित नियुक्ति एवं सभी सेवा लाभ मिलने चाहिए. राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई बिचौलिया संस्कृति (आउटसोर्सिंग एजेंसी) पूरी तरह से अनुचित है. मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है.
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