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प्रमोशन की बाट जोह रहे स्वास्थ्यकर्मी, सिविल सर्जन कार्यालय में दबा है आदेश

Ranchi: रांची जिला के स्वास्थ्यकर्मियों की वर्षों की सेवा और कर्तव्यनिष्ठा को विभाग के भीतर ही नजरअंदाज किया जा रहा है. विभागीय निदेशक द्वारा स्पष्ट आदेश के बावजूद सिविल सर्जन कार्यालय रांची प्रोन्नति संबंधी आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहा. 


नतीजा यह है कि करीब 55 से अधिक हेल्थ वर्कर व अन्य कर्मी वर्षों की सेवा के बावजूद आज तक एक भी प्रोन्नति नहीं पा सके हैं. कर्मियों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी केवल "कागजी आदेश" निकालकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. लेकिन उसका अनुपालन कराने के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाते. 10 से 25 वर्षों की सेवा देने वाले कर्मी उसी पद पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिस पर उनकी नियुक्ति हुई थी.


निदेशक प्रमुख का आदेश धरा रह गया धरा का धरा

23 मई 2025 को निदेशक प्रमुख सी. के. शाही ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को पत्र जारी कर कहा था कि जिला स्तरीय स्वास्थ्यकर्मियों को पदानुक्रम के अनुसार समय पर प्रोन्नति दी जाए. इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि यदि पद रिक्त नहीं हैं तो कम से कम वेतन संरचना में प्रोन्नति दी जाए. जानकारी के अनुसार, जामताड़ा जिला को छोड़कर अन्य किसी जिले में इस पत्र पर अमल नहीं हुआ.


प्रशासनिक निष्क्रियता या जानबूझकर की जा रही अनदेखी?


हालात यह हैं कि सिविल सर्जन से लेकर निदेशक तक सभी अधिकारी स्वयं चिकित्सक हैं, जिनका प्रमोशन समय पर होता रहता है, लेकिन जब नॉन-डॉक्टर स्टाफ की बारी आती है तो सबकी चुप्पी छा जाती है. 


प्रोन्नति की अनदेखी, आर्थिक नुकसान,मनोबल पर आघात


प्रोन्नति ना मिलने से केवल मानसिक पीड़ा ही नहीं, वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. कर्मियों के अनुसार, यदि नियमावली के अनुसार बेसिक ग्रेड पे और अन्य लाभ समय पर मिलते, तो हजारों रुपये सालाना अतिरिक्त वेतन और पेंशन लाभ उन्हें प्राप्त होता. 


कैसे झेल रहे हैं जिला स्तरीय स्वास्थ्यकर्मी आर्थिक नुकसान?


झारखंड के जिला स्तरीय स्वास्थ्यकर्मियों की वर्षों की सेवा और समर्पण का ‘इनाम’ उन्हें केवल उपेक्षा के रूप में मिला है. इन कर्मियों की नियुक्ति 1900 रुपये के ग्रेड पे पर हुई थी. नियमानुसार, 10 वर्षों की सेवा के बाद 2400 ग्रेड पे और फिर क्रमशः 2800 ग्रेड पे तक प्रोन्नति मिलनी चाहिए थी.
लेकिन ‘टाइम-बाउंड प्रमोशन’ के नाम पर सिर्फ 100 रुपये जोड़कर 2000 ग्रेड पे दे दिया गया. यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि कर्मचारियों के साथ सीधा आर्थिक अन्याय भी है.


आज अधिकांश कर्मी 2800 ग्रेड पे के पात्र हो चुके हैं, लेकिन उन्हें आज भी 2000 या 2400 तक ही सीमित रखा गया है. इससे उन्हें हर महीने के वेतन से लेकर, रिटायरमेंट लाभ, पेंशन, ग्रेच्युटी तक में हजारों रुपये का नुकसान हो रहा है.


प्रोन्नति की लड़ाई लड़ते-लड़ते चली गई जान


रांची जिला के ओरमांझी प्रखंड में कार्यरत फैमिली प्लानिंग वर्कर एमडी असलम पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्यकर्मियों को प्रोन्नति का हक दिलाने के लिए आवाज उठा रहे थे. वे लगातार विभागीय उपेक्षा के खिलाफ बोलते रहे, ज्ञापन देते रहे, लेकिन सिस्टम की चुप्पी ने उन्हें निराश किया. करीब तीन माह पूर्व अचानक ब्रेन हैमरेज होने के बाद उनकी मौत हो गई. स्वास्थ्यकर्मियों का मानना है कि वर्षों की मानसिक पीड़ा, तनाव और लगातार संघर्ष ने उनकी सेहत पर असर डाला.


कर्मियों की मांग: अब नहीं चाहिए आश्वासन, चाहिए कार्रवाई!


स्वास्थ्यकर्मियों की स्पष्ट मांग है कि प्रोन्नति नियमावली 2023 के तहत सिविल सर्जन तुरंत प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू करें. निदेशक प्रमुख केवल आदेश जारी न करें, जिम्मेदारी तय कर अनुपालन की रिपोर्ट लें. यदि पद रिक्त नहीं हैं तो वेतन संरचना में प्रोन्नति का लाभ दिया जाए. प्रमोशन न देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.


स्वास्थ्य मंत्री के वादों की भी उड़ रही धज्जियां?


स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी भले ही सार्वजनिक मंचों से स्वास्थ्यकर्मियों की हालत सुधारने की बात करते हों, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके वादे हवा में तैरते नजर आते हैं. कर्मियों की स्थिति देखकर यही लगता है कि विभाग में प्रोन्नति सिर्फ अधिकारियों की जागीर बनकर रह गई है.


सिविल सर्जन से संपर्क असफल, जवाब का इंतजार


इस पूरे मामले में ‘लगातार न्यूज’ ने रांची सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार से उनका पक्ष जाना. सिविल सर्जन प्रभात कुमार ने कहा कि आरडीडी लेवल पर बैठक हो गयी है, जल्द ही कर्मियों को प्रोन्नति प्रदान कर दी जाएगी. जिन लोगों की कागजात में कमी है, वो मिलने के बाद उन लोगों की प्रोन्नति कर दी जाएगी.

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