FAISAL ANURAG
“ऐसा प्रचंड संकट आजादी के बाद से नहीं आया था, अब तो मोदी समर्थक भी मानने लगे हैं कि महामारी में सरकार का रवैया सारे दायित्व से हाथ झाड़ लेने का रहा है” प्रताप भानु मेहता के ताजा प्रकाशित लेख में यह बात कही गयी है. ये वही प्रताप भानु मेहता हैं जिन्हें अशोका यूनिवर्सिटी ने सच लिखने के जुर्म में इस्तीफा देने पर बाध्य कर दिया था. मेहता यहीं नहीं रूकते वे तो यहां तक कह जाते हैं कि यह एक नृशंस सामाज्य है जिसमें जब लोगों को जरूरत थी केंद्र सरकार ने हाथ झाड़ लिया. यह लेख ऐसे समय प्रकाशित हुआ है जब नरेंद्र मोदी ने कोरोना से ऊपजे लोगों के दुख को समझने का दावा करते हुए कहा कि लोग न हिम्मत हारेंगे और ना ही देश हारेगा.
प्रतापभानु मेहता के लेख में यह भी कहा गया है अब उन्हें ढोंग करने की भी आवश्यकता नहीं. यह अनायास नहीं कि महामारी के समय हमारे दुखों और शोक से व्यथित होने का ढोंग भी ठीक से प्रधानमंत्री ने नहीं किया. प्रतापभानु मेहता इतनी तल्ख बात कहने वाले बुद्धिजीवी नहीं हैं. 2013-14 में तो उन्होंने ने नरेंद्र मोदी में भारत का भविष्य देखते हुए अनेक लेख लिखे थे.
देश में ऐसी तल्ख बातें यदि सार्वजनिक तौर पर कही जा रही है तो उसके आधार भी तो हर दिन मिल रहे हैं. पिछले दो दिनों की घटनाक्रम को देखा जाए तो जाहिर होता है कि नरेंद्र मोदी भले ही कोरोना से युद्धस्तर पर लड़ने की बात कर रहे हों, अब भी केंद्र सरकार के निशाने पर वे ही लोग हैं जिन्होंने घनघोर संकट के समय लोगों की परेशानियों को साझा किया है.
विपक्ष से जुड़े लोगों को ही निशाने पर लिया जा रहा है. बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने पप्पू यादव को गिरफ्तार कर संदेश दिया कि लोग अपनी सीमा में रहें वे एंबुलेंस, दवा या ऑक्सीजन को ले कर सवाल नहीं करें और न ही सरकार की. यह वही बिहार है जिसने एक विशेष पुलिस एक्ट बनाया और उसका विरोध करने वाले विधायकों को सदन में ही पुलिस बुलवा कर पिटवाया. अब पप्पू यादव को कभी बीहपुर जेल तो कभी दंरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल घुमाया जा रहा है. किसी को डराने और उसके मनोबल को तोड़ने का ऐसा उदाहरण भारत में कम ही है.
दिल्ली में श्रीनिवास बीवी से पूछताछ का ममला उतना सीधा नहीं है जितना की मीडिया बता रहा है. श्रीनिवास ने इस महामारी में हजारों लोगों के लिए मसीहा बने हैं. वे युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और अपने काम का पूरा श्रेय राहुल गांधी को देते हैं. दरअसल भाजपा के लिए यह स्वीकार करना आसान नहीं है कि कांग्रेस का कोई आदमी इतना सक्रिय हो मददगार हो जाए कि सरकार बौनी दिखने लगे.
केंद्र सरकार तो तब ही से नाराज है जब दो विदेशी दूतावासों ने मदद मांगी और श्रीनिवास की टीम ने मदद पहुंचा दी. न्यूजीलैंड और फिलीपींस के दूतावासों ने गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन मांगी और श्रीनिवास ने पहुंचा दी. इसके चलते दुनिया में डंका भी बज गया कि विदेशी दूतावासों को आपात मदद सरकार नहीं, विपक्षी पार्टी के लोग कर रहे हैं. इस मसले पर सरकार अपनी झेंप छुपा नहीं पाई और विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर कई नेता भड़क गए थे.
श्रीनिवास से पहले आम आदमी पार्टी के विधायक कोविड ग्रस्त दिलीप पांडेय के यहां दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम पहुंच गयी और उनसे भी पूछताछ की. दिल्ली में मदद तो भाजपा के कुछ नेताओं ने भी किया जिनमें दो के नाम अदालत को बताए गए लेकिन उन से कितनी छानबीन पुलिस ने किया है. यह उसे ऐसा बताना चाहिए.
सबसे दिलचस्प और त्रासद तो यह है कि पूर्व सांसद शाहिद सिद्धिकी के यहां भी पुलिस गयी. उनकी पत्नी कोरोना से ग्रस्त थीं और जिंदगी के लिए लड़ रही थीं. डाक्टरों ने रेमेडेसिविर इंजेक्शन मांगा था. सिद्धिकी ने एसओएस ट्वीट किया. प्रियंका गांधी और कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा ने सिद्धकी की पत्नी के इलाज के लिए इलाज मुहैया करा दिया.
अब पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और मुकेश शर्मा उसे कहां से लाए. यह जानकारी सिद्धिकी ने ट्वीट कर दिया है. इस में उन्होंने लिखा है कि सरकार लोगों के टैक्स के पैसे का बेजा इस्तेमाल कर जांच करवा रही है कि उन्हें इंजेक्शन कैसे मिला. जांच तो इस विषय पर होना चाहिए कि लोग किस तरह बिना इलाज,दवा और ऑक्सीजन के मर गए.