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हुंकार रैली 17 को, आदिवासी समाज हक-अधिकार की लूट बर्दाश्त नहीं करेगा: जोनसन

 

हुंकार रैली 17 को, आदिवासी समाज हक-अधिकार की लूट बर्दाश्त नहीं करेगा: जोनसन

Ranchi : राज्यभर में कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल किए जाने की मांग के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है. गुरूवार को आदिवासी बचाओ मोर्चा के लोगों ने करमटोली केंद्रीय धुमकुड़िया में संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया.

 

इस दौरान टीएसी सदस्य नारायण उरांव ने कहा कि आज आदिवासी समाज अपनी अस्मिता और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. उन्होंने कहा कि आज अधिकांश समुदाय खुद को आदिवासी कहलाना चाहता है, लेकिन वही समाज आदिवासियों से छुआछूत करता है.

 

नारायण उरांव ने बताया कि झारखंड के 33 जनजातियों ने केंद्र सरकार से स्पष्ट मांग की है कि केवल वही समाज एसटी की सूची में शामिल हो, जो आदिवासी होने की सभी संवैधानिक और सांस्कृतिक अहर्ता पूरी करता हो.

 

कुड़मी समाज इन शर्तों पर खरा नहीं उतरता है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज अपनी पारंपरिक पूजा पद्धति, पाहन व्यवस्था और धार्मिक जमीनों की रक्षा के लिए 17 अक्टूबर को प्रभात तारा मैदान, धुर्वा में आदिवासी हुंकार रैली बुलाई है.

 

झारखंड उलगुलान मंच के अध्यक्ष जोनसन गुड़िया ने कहा कि आदिवासी समाज अब हक और अधिकार की लूट बर्दाश्त नहीं करेगा. गांव-गांव में संदेश पहुंचाया जा चुका है कि 17 अक्टूबर को सभी आदिवासी एकजुट होकर रांची पहुंचें.

 

झारखंड उलगुलान मंच के सदस्य सुदर्शन भेगरा ने कहा कि कुड़मी समाज को एसटी का दर्जा देना आदिवासियत पर सीधा हमला होगा. इसे रोकने के लिए  ऐतिहासिक रैली बुलाई गई है.

 

सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि यह केवल विरोध नहीं, बल्कि आदिवासियों की आरक्षण, परंपरा और अस्तित्व को बचाने की लड़ाई है. इसमें झारखंड समेत पड़ोसी राज्यों से भी हजारों सरना धर्मावलंबी शामिल होंगे.

 

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलु मुंडा ने कहा कि यह पहला अवसर है जब सभी आदिवासी संगठन और समाज एक मंच पर एकजुट हो रहे हैं. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि रैली में शामिल होने वाले लोगों से टोल टैक्स न लिया जाए.

 

उन्होंने बताया कि रैली में सात प्रस्ताव पारित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज की एसटी मांग असंवैधानिक है. टीआरआई ने भी कुड़मी समाज की मांग को खारिज किया है. यह समाज शिवाजी वंशज होने का दावा करता है, जबकि आदिवासी समाज मूल निवासी है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी नेता का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज की पहचान और अस्मिता की लड़ाई है.

 

इस मौके पर पूर्व मंत्री देवकुमार धान, जगलाल पाहन, परमेश्वर मुंडा,बलकु उरांव, खड़िया सरना विकास समिति रांची के अध्यक्ष बासुदेव भगत,अभय भुटकुंवर समेत अन्य शामिल थे.

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