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झारखंड के गिग श्रमिक विधेयक पर IAMAI की आपत्ति

Ranchi : इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने झारखंड सरकार द्वारा हाल ही में पारित झारखंड प्लेटफार्म आधारित गिग श्रमिक (निबंधन और कल्याण) विधेयक 2025 को लेकर गंभीर चिंताएं जताई हैं. झारखंड सरकार के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग को भेजे गए पत्र में IAMAI ने विधेयक के कई प्रावधानों को नवाचार, रोजगार अवसरों और राज्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक बताया है.IAMAI का कहना है कि विधेयक के मौजूदा स्वरूप में लागू होने से न केवल प्लेटफॉर्म कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, बल्कि इससे झारखंड के हजारों गिग वर्कर्स की कमाई और प्रोत्साहन पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा.

 

कल्याण बोर्ड में प्लेटफॉर्म कंपनियों की अनुपस्थिति पर सवाल

IAMAI ने विधेयक के अंतर्गत प्रस्तावित कल्याण बोर्ड की संरचना पर आपत्ति जताई है, जिसमें प्लेटफॉर्म कंपनियों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. संगठन का मानना है कि जब तक बोर्ड में गिग इकोसिस्टम के सभी हितधारकों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा, तब तक नीति निर्माण में समग्रता की कमी बनी रहेगी.

 

वित्तीय योगदान की परिभाषा पर आपत्ति

 

विधेयक के अंतर्गत प्रस्तावित कल्याण योगदान प्रणाली जो प्लेटफॉर्म कंपनियों के वार्षिक सकल राजस्व (Annual Gross Revenue) पर 1-2% का शुल्क लगाती है. IAMAI के अनुसार, अत्यधिक व्यापक और अनुचित है. यह प्रणाली ग्राहकों द्वारा किए गए कुल भुगतान को राजस्व मानती है न कि गिग वर्कर्स को किए गए भुगतान को. इससे विशेष रूप से उन कंपनियों पर असर पड़ेगा जो कम मार्जिन पर काम करती हैं और अंततः गिग वर्कर्स के लिए उपलब्ध संसाधन कम हो जाएंगे.IAMAI ने कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों का उदाहरण देते हुए सुझाव दिया है कि कल्याण योगदान गिग वर्कर्स को किए गए वास्तविक भुगतान के आधार पर तय किया जाना चाहिए न कि प्लेटफॉर्म के कुल टर्नओवर पर.

 

सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 से असंगति

 

संगठन ने यह भी रेखांकित किया है कि झारखंड विधेयक के कुछ प्रावधान सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 की मूल भावना के विरुद्ध हैं जिसमें गिग वर्क को परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों से अलग एक स्वतंत्र कार्य व्यवस्था माना गया है.

 

सरकार से पुनर्विचार और परामर्श की मांग

इन तमाम चिंताओं के मद्देनजर IAMAI ने झारखंड सरकार से विधेयक के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और उद्योग से परामर्श की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की है. संगठन का मानना है कि एक संतुलित और दूरदर्शी कल्याण नीति ही राज्य के गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म कंपनियों और संपूर्ण अर्थव्यवस्था के हित में होगी.

 

क्या है IAMAI ?


इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) एक गैर-लाभकारी उद्योग संगठन है, जिसके 600 से अधिक सदस्य हैं जिनमें भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां तथा स्टार्ट-अप्स शामिल हैं. IAMAI भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए प्रगतिशील कानूनों की वकालत करता है.

 

 


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