- रुंगटा ग्रुप पर खरकाई नदी के जल बहाव क्षेत्र में अवैध निर्माण करने का गंभीर आरोप
- एंटी करप्शन ऑफ इंडिया, झारखंड ने डीसी को लिखा पत्र
- जनसुनवाई के जरिये उठाया मुद्दा
Sukesh kumar
Chaibasa : एंटी करप्शन ऑफ इंडिया (ACI), झारखंड के अध्यक्ष रामहरि गोप ने गुरुवार को सरायकेला-खरसावां डीसी को एक औपचारिक पत्र सौंपकर और जनसुनवाई के माध्यम से एक गंभीर पर्यावरणीय अतिक्रमण का आरोप लगाया है.
गोप का आरोप है कि रुंगटा ग्रुप ने कुजू चालियामा स्थित अपने औद्योगिक प्लांट की पक्की बाउंड्रीवाल खरकाई नदी के जल बहाव क्षेत्र में अवैध रूप से खड़ी की है.
यह न केवल जल संसाधन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइंस का उल्लंघन है, बल्कि संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का सीधा अतिक्रमण है और जन-जीवन व पर्यावरण सुरक्षा पर बड़ा खतरा है.
मुख्य आपत्तियां एवं तर्क
नियमविरुद्ध निर्माण : किसी भी नदी से 50 मीटर दूरी तक स्थायी निर्माण पूर्णतः प्रतिबंधित है. इसके बावजूद रुंगटा प्लांट ने नदी प्रवाह क्षेत्र तक बाउंड्री खड़ी कर दी है.
संविधान और पर्यावरण कानून का उल्लंघन :
अनुच्छेद 21 : हर नागरिक को स्वच्छ जल और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार
अनुच्छेद 48ए : पर्यावरण व वन्य जीवन की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है.
अनुच्छेद 51ए(जी) : प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है.
नदी जैसी सार्वजनिक संपत्ति पर निजी कब्जा असंवैधानिक और गैरकानूनी है.
जन-जीवन व पर्यावरण पर खतरा :
- नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा
- भूजल स्तर पर प्रतिकूल असर
- बरसात में बाढ़ का खतरा बढ़ना
- जैवविविधता के विनाश और मछुआरा समुदाय सहित स्थानीय आजीविका पर संकट
डीसी से प्रमुख मांगें
- खरकाई नदी के किनारे हुए इस अवैध निर्माण की स्वतंत्र तकनीकी एवं पर्यावरणीय जांच कराई जाए.
- यदि बाउंड्री जल बहाव क्षेत्र में पाई जाती है, तो उसे अवैध घोषित कर तुरंत ध्वस्त कराया जाए.
- भविष्य में ऐसे अतिक्रमण से बचने के लिए नदी किनारे का स्पष्ट डिमार्केशन (सीमा निर्धारण) किया जाए.
- जिम्मेदार कंपनी व अधिकारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
यह सिर्फ एक जलधारा नहीं, लाखों लोगों की जीवनरेखा है : रामहरि गोप
रामहरि गोप ने कहा है कि खरकाई नदी सिर्फ पानी की धारा नहीं, बल्कि लाखों लोगों की जीवन-रेखा है. इस पर अवैध कब्जा आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व पर संकट है.
यदि प्रशासन अभी नहीं चेता तो इसके दुष्परिणाम बाढ़, जल संकट और पर्यावरणीय विनाश के रूप में सामने आएंगे.
उन्होंने जिला प्रशासन से तत्काल संज्ञान लेकर अवैध कब्जा हटाने और नदी को बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की.
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