Ranchi : कोनका मौजा के मसना स्थल में शनिवार को पारंपरिक हड़गड़ी पूजा श्रद्धा और विधि-विधान के साथ संपन्न हुई. पूजा की अगुवाई मौजा के पाहन राजा धाघु किस्पोट्टा और पारनो किस्पोट्टा ने की. सबसे पहले पत्थर कुदुवा स्थित हड़गड़ी स्थल में ढोल-नगाड़ा, धूप-धुवान के साथ पूजा-अर्चना की गई.
इसके बाद श्रद्धालु पथ यात्रा करते हुए पुरुलिया रोड स्थित मसना पहुंचे, जहां प्रार्थना कर अपने पूर्वजों को याद किया गया. घरों में तैयार चावल और उरद के व्यंजन पूर्वजों के नाम से कब्र में अर्पित किए गए.
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, रांची महानगर के अध्यक्ष पवन तिर्की ने कहा कि हड़गड़ी पूजा आदिवासी समाज की परंपरा है, जिसमें पुरखों की स्मृति और आस्था जुड़ी है. उन्होंने राज्य सरकार से सरना, मसना, अखरा और हड़गड़ी स्थलों की घेराबंदी कर संरक्षण की मांग की, ताकि आदिवासी समाज और उसकी जमीन को सुरक्षित रखा जा सके.
इस अवसर पर 12 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया. कार्यक्रम में पाहन घाघु किस्पोट्टा, परनो किस्पोट्टा, अनिल किस्पोट्टा, कोनका मौजा अध्यक्ष प्रदीप कुजुर, पवन तिर्की, आकाश तिर्की, निरंजन तिर्की, अनिल कच्छप, सारो सांगा, बिरयानी कच्छप, सुनिता टोप्पो समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे.
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