- अमुंडी का RBI को सुझाव
- न्यूट्रल रुख छोड़कर 50 बेसिस पाइंट्स की कटौती करें
- 2026 में धीमी पड़ सकती है ग्रोथ
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का खतरा
Lagatar Desk : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अपने न्यूट्रल पॉलिसी रुख से हटना चाहिए औऱ अगले एक साल में ब्याज दरों में 50 बेसिस पाइंट्स (0.50%) की और कटौती करनी चाहिए. यह बात फ्रेंच एसेट मैनेजमेंट कंपनी अमुंडी की एक रिपोर्ट में कही गई है.
US टैरिफ से 2026 में भारत की ग्रोथ धीमी हो सकती है
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ की वजह से 2026 में भारत की आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ सकता है. इससे भारत अन्य देशों की तुलना में कमजोर स्थिति में आ सकता है. हालांकि घरेलू मांग अभी भी मजबूत है. लेकिन अमुंडी का कहना है कि 2026 में GDP ग्रोथ में थोड़ी गिरावट देखी जा सकती है.
RBI should deliver additional 50bps cuts over next 12 months & depart from neutral guidance: Report
— ANI Digital (@ani_digital) November 20, 2025
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ये चीजें आने वाले समय में डिमांड को बढ़ावा देंगे
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में कई बदलाव जैसे GST में बदलाव, कम इनकम टैक्स और आठवें वेतन आयोग का लागू होना (जिसके जनवरी 2026 में लागू होने की उम्मीद है) घरेलू मांग को बढ़ावा देंगे. इन कदमों से लोगों की जेब में ज्यादा पैसा जाएगा और खपत बढ़ेगी
निजी निवेश की रफ्तार अब भी कमजोर
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट (निजी निवेश) अभी भी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाया है. ग्लोबल अनिश्चितताओं की वजह से निवेश का माहौल थोड़ा कमजोर दिख रहा है. अमुंडी का मानना है कि सरकारी नियमों में ढील देने से निवेश में सुधार आ सकता है, लेकिन अगर फिस्कल सपोर्ट (सरकारी खर्च) कम हुआ तो बाहरी चुनौतियां भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं.
महंगाई 4–5% के बीच रहने की उम्मीद
रिपोर्ट के अनुसार, अच्छा मॉनसून, खाने-पीने की चीजों व ऊर्जा की वैश्विक कीमतों में स्थिरता और GST सुधारों का सकारात्मक प्रभाव के कारण 2026 में महंगाई दर औसतन 4 से 5 प्रतिशत के बीच रह सकती है.
भारतीय शेयर बाजार के लिए हल्का पॉजिटिव माहौल
अमुंडी ने भारत की इक्विटी मार्केट (शेयर बाजार) को लेकर थोड़ा पॉजिटिव रुख जताया है. उन्होंने कहा कि भारत में लंबे समय की ग्रोथ के अच्छे मौके मौजूद हैं, खासकर बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, ग्लोबल सप्लाई चेन बदलावों से जुड़ा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और टेक्नोलॉजी के जरिए वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ाने वाले प्रोजेक्ट्स में

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